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“हाँ साहब! वह पैठी है मन के भीतर” – गोपाल राम टेलर से महान लोकगायक तक गोपीदास का सफ़र

1900-1902 के बीच कोसी नदी से सटे हुये गांव सकार में ‘दास’ घराने के एक हरिजन टेलर मास्टर के घर…

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मंटो क्यों लिखता था

आज मशहूर अफसानानिगार सआदत हसन मंटो (Manto)की बरसी है. इस मौके पर प्रस्तुत है अपने लेखन को लेकर उनका लिखा…

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कविता: कवि-तान: कविता- न!: क-वितान

अंतर देस इ उर्फ़… शेष कुशल है! भाग – 16 अमित श्रीवास्तव (पिछली क़िस्त: तीसरी कसम उर्फ मारे गये चिलबिल)…

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चार कहानियाँ मंटो की

आज विख्यात कहानीकार सआदत हसन मंटो (Manto) की मृत्यु को 64 साल हो गए. साधारण मनुष्य की छोटी-बड़ी हार-जीतों को…

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यह सब जानना चाहिए ब्रह्मकमल के बारे में

58 तरह का ब्रह्मकमल हालांकि इसका नाम ब्रह्मकमल (Brahmakamal) है पर यह तालों या पानी के पास नहीं बल्कि ज़मीन…

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कुमाऊनी लोकोक्तियाँ – 90

डा. वासुदेव शरण अग्रवाल ने एक जगह लिखा है - “लोकोक्तियाँ मानवीय ज्ञान के चोखे और चुभते सूत्र हैं.” यदि…

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दो हजार साल पहले पिथौरागढ़ के तीन ओर था एक सरोवर

वह सरोवर बचपन में अपने “मुलुक’ (Pithoragarh) के बारे में पूछता था तो दादी बताती थीं एक ऐसे मैदान के…

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मेरे जाने के बाद कोई नहीं गायेगा मालूशाही

उत्तराखंड के महान मालूशाही-गायक गोपीदास के साथ अपनी पहली मुलाक़ात को याद करते हुए जर्मनी के मानवशास्त्री और भारत के…

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तहजीब के शहर लखनऊ में

कहो देबी, कथा कहो – 30 पिछले कड़ी कहो देबी, कथा कहो – 29, चल उड़ जा रे पंछी तो…

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सौ साल पुराने कुमाऊँ की तस्वीरें

एक ज़रूरी किताब कुमाऊँ (Kumaon) के बारे में 1905 में छपी ई. शर्मन ओकले (E. Sherman Oakley) की किताब 'होली…

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