परम्परा

कुमाऊनी परिवारों में भांजे-भांजियों को मिलता है विशेष सम्मान

कुमाऊं क्षेत्र में भाई-बहिन के प्रेम पर बनी रवायतें किसी से नहीं छिपी. लोककथा, लोकगीत, पर्व और परम्पराओं में इस…

1 year ago

कुमाऊँ में कपड़े और रस्सियाँ बनाने के लिए रेशा निकालने के परम्परागत तौर-तरीक़े

पहनावा या वेशभूषा किसी भी समाज की सांस्कृतिक पहचान है. कुमाऊँ के ठण्डे मौसम में अच्छे गर्म वस्त्रों का उपयोग…

1 year ago

आ कौआ आ, घुघुती कौ बड़ खै जा

आ कौआ आ, घुघुती कौ बड़ खै जा,मैकेणी म्येर इजैकी की खबर दी जा.आ कौआ आ, घुघुती कौ बड़ ली…

1 year ago

इतिहास का विषय बन चुकी हैं उत्तराखण्ड के पर्वतीय अंचलों की पारम्परिक पोशाकें

विश्व के अन्य भागों की भाँति ही उत्तराखण्ड की संस्कृति भी अपने आप में समृद्ध रही है, परन्तु आधुनिकता की…

1 year ago

व्यासऋकी (व्यास ऋषि) पूजा परंपरा, कल और आज

परिचय- ‘‘नमोस्तु ते व्यास विशालबुद्धे, फुल्लारविन्दायतपत्रनेत्र:. येन त्वया भारततैलपूर्ण: प्रज्ज्वालितो ज्ञानमयप्रदीप:..’’ अर्थात:- जिन्होंने महाभारत रूपी ज्ञान के दीप को प्रज्वलित…

1 year ago

उत्तराखण्ड में टोपी पहनने का चलन कब शुरू हुआ?

सर्द मौसम है कभी बादल सूर्य को आगोश में ले लेते हैं कभी सूरज देवता बादलों को पछाड़कर धूप फेंकते…

1 year ago

‘सांस्कृतिक संक्रमण’ पर प्रो. डी. डी. शर्मा का तीस साल पुराना लेख

आज से 60-70 वर्ष पूर्व हमारी पीढ़ी के लोगों ने कुमाऊँ की पावन भूमि के जिस सांस्कृतिक वातावरण में प्रथम…

1 year ago

कुमाऊनी लोक साहित्य में संस्कार गीत

आप काफल ट्री की आर्थिक मदद कर सकते हैं           संस्कार गीत संस्कार सम्बन्धी लोक गीत…

1 year ago

आज से लगेगा जौलजीबी का मेला

अब तो यह बीते बरसों की बात रही पर कभी जौलजीबी का मेला इलाके का सबसे बड़ा व्यापारिक मेला हुआ…

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माहवारी के दिनों में नहाने पर पांच हज़ार रुपए तक का जुर्माना

कहने को तो माहवारी प्रकृति की देन है, परन्तु लोगो ने इसे परंपरा से ऐसा बांधा है कि यह गांठ खुलने…

2 years ago