कुमाऊं में भादों मास की संक्रांति घ्यूँ त्यार मनाया जाता है. इसे 'ओलकिया' या 'ओलगी' संक्रान्त भी कहते हैं. इस…
पहाड़ में अपनी भावनाओं को रेखाओं, आकृतियों का रूप दे उनमें रंग भर जीवंत कर देना हर घर-आँगन, देली-गोठ और…
मेरी पैदाइश और परवरिश कई छोटे कस्बों एवं नगरों में हुई है, इसके बावजूद मेरा अपने पैतृक स्थान से अलग…
ढांटा ब्या उत्तराखण्ड के खशों में प्रचलित तथा सामाजिक मान्यता प्राप्त निरनुष्ठानिक विवाह का एक प्रकार था. इसमें कोई सधवा…
थलकेदार से लगभग 2500 फीट की ढलान पर दुर्गम मार्ग को पार कर लटेश्वर नामक मंदिर आता है. यहाँ पर…
सावन का महीना और आप यदि सीमांत के किसी गाँव मे जाते हैं तो हर घर में एक ही चीज…
जी रया, जाग रया, यो दिन यो मासन भेटनै रया ... सिर पर हरेला (हरे तिनके) रखते हुए इन आशीर्वाद…
हिमालयी लोकगाथाओं में कृष्ण को नागों का राजा अर्थात नागराज कहा जाता है. कृष्ण के जन्म और बचपन को लेकर…
जन्यौ पुन्यू के अवसर पर आपके कुल पुरोहित आपको जनेऊ भेट करने अवश्य आयेंगे, यदि वे बाजार से खरीदकर जनेऊ…
सभी जानते हैं मनुष्य जाति द्वारा लोहे का इस्तेमाल किये जाने से पहले प्रस्तर युग और कांस्य युग थे. यही…