संस्कृति

कुमाऊं में वह जगह जहां कुंभकर्ण का सिर रखा गया

वर्तमान चम्पावत क्षेत्र चंद शासन काल में काली कुमाऊं नाम से जाना जाता था. गोरखा और चंद काल में इसमें…

11 months ago

पहाड़ ठंडो पानी, सुण कति मीठी वाणी

https://www.youtube.com/embed/A-ViM4Ow4Jc पिछले दो दशक में कुमाऊं में होने वाली मंचीय प्रस्तुत में गाया जाने वाला एक है – पहाड़ ठंडो…

12 months ago

कुमाऊनी लोक कथा : खाचड़ी

एक भै लाट. एक बखत उ आपण सैंणी कैं बुलूण हैं सौरास हैं बटी रौछ्यू. जाण बखत वीलि इज छैं…

1 year ago

सुनें घुघुतिया का गीत

यूट्यूब चैनल 'केदारनाद' कुमाऊँ के लोक पर्व उत्तरायणी के मौके पर लाया है एक बेहतरीन लोकगीत. गीत के बोल हैं…

1 year ago

पर्वतीय सांस्कृतिक उत्थान मंच का इतिहास

हल्द्वानी शहर में विभिन्न सांस्कृतिक टोलियों के साथ बागेश्वर, सालम, जागेश्वर आदि स्थानों से पारम्परिक वाद्ययन्त्रों के साथ कलाकारों को…

1 year ago

हल्द्वानी में नाट्य प्रस्तुतियों ने बाँधा समां

सर्द मौसम में ‘इंस्पिरेशन सीनियर सेकेंडरी स्कूल,’ काठगोदाम के हॉल के माहौल में तपिश का अहसास था. इस गर्मी की…

1 year ago

7वीं तक पढ़े ढोल वादक सोहन लाल को डी.लिट की उपाधि

हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय ने उत्तराखंड के प्रसिद्ध ढोल वादक सोहन लाल को डॉक्टर ऑफ लेटर्स (डी.लिट) की…

1 year ago

आजकल मनाया जा रहा है मंगसीर बग्वाल

दीपावली के ठीक एक माह बाद जो दीपावली आती है उसका नाम है मंगसीर बग्वाल. इसे उत्तराखण्ड के गढ़वाल क्षेत्र में…

1 year ago

कुमाऊनी भाषा में एक लोकप्रिय लोककथा

भौत पैलिये बात छु. एक गौं में एक बुड़ और एक बुड़ी रौंछी. उ द्वियनै में हइ-निहई कजी लागिये रोनेर…

2 years ago

नदी-पुत्र : पिथौरागढ़ की एक लोककथा

पीपल पलवृक्ष के नीचे ढोल रख धरमदास ने अंगौछे से पसीना पोछा और गोरी नदी की ओर मुँह कर एक…

2 years ago