भुवन चन्द्र पन्त

व्यापारिक केन्द्र की शक्ल में उभरता कैंची धाम

पांच दशक पूर्व तक ख्यातिप्राप्त कैंचीधाम महज 10-15 परिवारों का एक छोटा सा गांव हुआ करता था. तब बाहरी व्यक्ति…

1 year ago

समधी-समधिन की प्रतिकृति बनाने की अनूठी परम्परा

समधी-समधिन मतलब दो अनजान परिवारों को एक सूत्र में पिरोने का रिश्ता. समधिन यानी पुत्र रत्न एवं पुत्री रत्न को…

2 years ago

उत्तराखंड के इस गांव का नाम अमरीका क्यों पड़ा

यदि आपके पास पासपोर्ट और वीजा नहीं है, कोई टेंसन की बात नहीं, आप बेखौफ अमरीका की सैर कर सकते…

2 years ago

पहाड़ी मूली नहीं है मामूली

‘किस खेत की मूली’ (कमजोर या अधिकारविहीन, ‘मूली-गाजर समझना’ (कमजोर) और ‘खाली मूली में’ (व्यर्थ में) जैसी लोकोक्तियां अथवा वाक्यांश…

2 years ago

1880 की त्रासदी से भी सबक नहीं ले पाये नैनीतालवासी

सन् 1880 का वह दौर, जब नैनीताल में मानवीय दखल न के बराबर थी. 1841 में खोजे गये इस शहर…

2 years ago

बादलों में भवाली: भवाली की जड़ों को टटोलती किताब

अंग्रेजी वर्तनी के अनुसार भोवाली, अतीत में भुवाली और अब भवाली नाम से जाना जाने वाला यह छोटा सा कस्बा…

3 years ago

बेमौत ज़मींदोज़ हुए लोगों की भटकती आत्माएं ट्वाल के रूप में दिखती हैं

पहाड़ की लोक परम्पराओं, लोक आस्थाओं एवं लोकपर्वों की विशिष्टता के पीछे देवभूमि के परिवेश का प्रभाव तो है ही…

3 years ago

चाय से जुड़े अफसाने, चाय दिवस के बहाने

चाय हमारे हिन्दुस्तानी समाज में कुछ इस तरह रच-बस चुकी है कि वह अब केवल राष्ट्रीय पेय ही नहीं रहा,…

3 years ago

‘बेड़ू पाको बारामासा’ लोकगीत पर एक विमर्श

लोक के क्षितिज से उपजा और अन्तर्राष्ट्रीय फलक तक अपनी धमक पहुंचाने वाला कुमाऊॅ के सुपर-डूपर लोकगीत ‘बेड़ू पाको बारामासा’…

3 years ago

स्वै- पहाड़ के गांवों की गाइनो और उससे जुड़ी रवायतें

पहाड़ चढ़ना जितना मुश्किल होता है, उस पर जिन्दगी बसर करना भी किसी चुनौती से कम नहीं होता. जीवन की…

3 years ago