कॉलम

कुमाऊनी में चाणक्य नीति श्लोक

जीवन में सफलता के लिए चाणक्य नीति श्लोक बार-बार दोहराए जाते हैं. यहां चाणक्य नीति श्लोक का कुमाऊनी में भावानुवाद…

2 years ago

छिपलाकोट अंतर्यात्रा : कभी धूप खिले कभी छाँव मिले- लम्बी सी डगर न खले

पिछली कड़ी यहां पढ़ें- वो भूली दास्तां लो फिर याद आ गई: पिथौरागढ़ महाविद्यालय में मेरा पहला दिन वर्ष 1979…

2 years ago

कुमाऊं का ऐसा गुप्त संगठन जिसकी सदस्यता खून से हस्ताक्षर करने पर ही मिलती थी

भारत की स्वतंत्रा के लिए राष्ट्रीय आन्दोलन में अनेक रूपों में जनता ने अपना योगदान दिया. देश के कोने-कोने में…

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मुंशी प्रेमचंद की कहानी ‘सौत’

जब रजिया के दो-तीन बच्चे होकर मर गये और उम्र ढल चली, तो रामू का प्रेम उससे कुछ कम होने…

2 years ago

कत्यूर राजधानी बैजनाथ पर एक महत्वपूर्ण लेख

कौसानी के डॉडे से सामने दूर नगाधिराज के श्वेत हिममण्डित सैकड़ों शिखरों की श्रेणियाँ दिखाई पड़ती हैं या पर्वत निः…

2 years ago

अगर पहाड़ हैं जिन्नत तो रास्ता है यही

सुना करते थे वह बाग़ पुरफ़िज़ा है यहीअगर पहाड़ हैं जिन्नत तो रास्ता है यही हम वक्त के उस दौर…

2 years ago

वो भूली दास्तां लो फिर याद आ गई: पिथौरागढ़ महाविद्यालय में मेरा पहला दिन वर्ष 1979

पिछली कड़ी यहां पढ़ें: छिपलाकोट अंतर्कथा : मुझे एक जगह आराम नहीं, रुक जाना मेरा काम नहीं डॉ मुन्ना भाई…

2 years ago

गढ़वाल का शहर, दुगड्डा : रूह है पर आब उड़ गई

-भगवतीप्रसादजोशी , 'हिमवन्तवासी ' यू.पी. में पुख्ता बुनियाद वाले जिला बिजनौर में नवाब नजीबुद्दौला द्वारा बसाए  गए और दिल दिलेर…

2 years ago

कुमाऊनी लोकजीवन में रहन-सहन और खान-पान की परम्परा

“सम्यक् प्रकारेण विरोधाभावान् अपास्य समभावान् जीवनोपयोगिनः करोति इति संस्कृतिः”  अर्थात संस्कृति वह है जो मानवता को विकृत करने वाले भावों…

2 years ago

नराई होती नहीं, लगा करती है

सुवा कैं नराई लागी आंचली में फेड़ी- वियोगावस्था में आलम्बन के प्रति आश्रय के मनोगत भावों की यही सबल अभिव्यक्ति…

2 years ago