समाज

ठेठ पहाड़ी खेलों की याद

खेल के मैदान में आजकल भारत के कई खिलाड़ी कीर्तिमान स्थापित कर रहे हैं. पढाई के साथ खेलकूद को भी…

3 years ago

कुमाऊं के अल्मोड़ा क्षेत्र में जब समुद्री यात्रा करने वाले को जाति से बाहर किया जाता था

भारत में लम्बे समय तक समुद्री यात्रा करना पाप समझा जाता था जिसका एक कारण हिन्दू धर्म में समुद्र को…

3 years ago

वह स्लेटी रंग का संदूक

फिर आई दिवाली, मां ने फिर वहीं पुराना राग अलापा. “सब कबाड़ घर का बाहर निकाल दो साफ सफाई करके…

3 years ago

इतिहास लेखन में महिलाओं की ध्वजवाहक ‘गुलबदन बेगम’

1520 का वक़्त था जब तेरह वर्षीय हुमायूँ को बाबर ने बदक्खशा का सूबेदार नियुक्त किया गया. हुमायूँ की उम्र…

3 years ago

लालमणि-खीमदेव की फर्म तम्बाकू के लिए प्रसिद्ध थी

पहाड़ की प्रमुख मंडी हल्द्वानी के आबाद होने की कहानी बहुत रोचक है. इसका वर्तमान चाहे कितना ही स्वार्थी हो…

3 years ago

पिथौरागढ़ के बच्चों और युवाओं ने मिलकर बनाई पारम्परिक ऐपण वाली दिवाली लाइट्स

हरेला सोसायटी अपने नये-नये प्रयोगों के लिये बेहद लोकप्रिय है. हरेला सोसायटी का अपसाइल्किलिंग का काम पिछले कुछ वर्षों से…

3 years ago

एटकिंसन ने क्या लिखा है ‘अस्कोट’ के बारे में

अस्कोट में कुल क्षेत्रफल प्रति एकड़ चार आना नौ पाई राजस्व निर्धारित है जबकि कृषि भूमि पर यह दर सात…

3 years ago

ठेठ कुमाऊनी खानपान की रंगत

आजकल सोशल मीडिया और यूट्यूब वगैरह में जो कुमाऊनी थाली दिखाई जाती है उसमें दाल, भात, डुबके, आलू के गुटके…

3 years ago

प्यारी दीदी एलिजाबेथ व्हीलर को भावभीनी श्रद्धांजलि

‘‘जीवन तो मुठ्ठी में बंद रेत की तरह है, जितना कसोगे उतना ही छूटता जायेगा. होशियारी इसी में है कि…

3 years ago

सम्प्रेषण की अद्भुत क्षमता रखते हैं कुमाऊनी लोकभाषा के समयबोधक शब्द

शब्द अथवा शब्दों के समुच्चय से कोई भाव या विचार बनता है. यदि मात्र एक शब्द से ही हम किसी…

3 years ago