समाज

तब खम्पा लोग रहा करते थे हल्द्वानी के आवास विकास में

हल्द्वानी शहर के निकट कई अन्य बस्तियां भी हुआ करती थीं. जो अब विकसित हो गई हैं. गोरा पड़ाव में…

5 years ago

चीन-भारत युद्ध के पराक्रमी उत्तराखण्डी सैनिक की शहादत के 58 साल बाद उनका खाना बनता है और जूते पॉलिश किये जाते हैं

यह कहानी राइफलमैन जसवंत सिंह रावत की है. 19 अगस्त, 1941 को उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले में गुमान सिंह…

5 years ago

क्या फिर कभी मिल सकेगा उत्तराखंड को आर. एस. टोलिया जैसा अफसर

सामाजिक सरोकारों के अग्रणी, सफल प्रशासक, योग्य अध्येता, कुशल अन्वेषक, विद्वत इतिहासकार डॉ. रघुनंदन सिंह टोलिया आज हमारे बीच नहीं…

5 years ago

हल्द्वानी और उत्तराखंड की राजनीति के कुछ पुराने पन्ने

राजनीति के क्षेत्र में हल्द्वानी क्षेत्र की एक ऐसी महिला का जिक्र करना आवश्यक हो जाता है जो एक साधारण…

5 years ago

दुनिया भर में धूम मचा रही है देश की पहली पहाड़ी गुड़िया जुन्याली

पिछले कुछ दिनों में सोशियल मीडिया में गुड़िया की कुछ तस्वीरों की फोटो वायरल हो रही हैं. उत्तराखंड की पारंपरिक…

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घुघुती, प्योली व काफल पर्वतीय लोकजीवन के कितने करीब

ब्रह्मकमल और मोनाल को भले राज्य पक्षी एवं राज्य पुष्प का सम्मानजनक ओहदा मिल चुका हो, लेकिन लोकजीवन व लोकसाहित्य…

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उत्तराखण्ड में दलित आन्दोलन के नायक खुशीराम शिल्पकार और भूमित्र आर्य

एक थे चरणजीत शर्मा. मूल रूप से वे हरियाणा के रहने वाले थे लेकिन एक अर्से से वे यहीं के…

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वह विकास यात्रा जिसके बाद ‘एन. डी. तेरे चारों ओर लीसा, लकड़ी, बजरी चोर’ नारा प्रचलित हुआ

सन् 60-70 के दशक में साम्यवादी विचारधारा के नाम पर बहुत से पाजी लोगों का जमघट मैंने यहां देखा. वे…

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अल्मोड़ा में स्कूली दिनों की यादें

उम्र साढ़े तीन साल, कद करीब 3 या 4 फुट. पता नहीं कैसी दिखती थी मैं. बस यह जरूर याद…

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मदमहेश्वर मेले का रंगारंग आगाज़

पंच केदारों में द्वितीय केदार भगवान मद्महेश्वर की डोली के ऊखीमठ आगमन पर लगने वाले तीन दिवसीय मद्महेश्वर मेले का…

5 years ago