परम्परा

कामनापूर्ति मैया कोटगाड़ी भगवती का मंदिर

डीडीहाट और बेरीनाग की वयः संधि पर पूर्वी रामगंगा के तट पर स्थित है थल. थल से एक रास्ता मुवानी…

5 years ago

धतिया नगाड़ा: आपदा की सूचना के लिए धाद लगाने का वाद्य

कुमाऊँ के मध्यकालीन शासकों द्वारा एक विशेष नगाड़े का निर्माण करवाया जाता था. इस नगाड़े का इस्तेमाल ख़ास मौकों पर…

5 years ago

आख़िरी साँसें गिन रहा है पहाड़ का काष्ठशिल्प

बढ़ती आधुनिकता के साथ लकड़ी से बने परम्परागत उत्पाद हमारे जीवन से दूर होते-होते अब लगभग लगभग समाप्त हो चुके…

5 years ago

प्रकृति के वैभव के बीचोबीच है ऐड़ाद्यो का मंदिर

ऐड़ाद्यो के मंदिर (Airadyo Temple Uttarakhand) पहुँचने के लिए अल्मोड़ा से दो अलग-अलग रास्ते हैं. पहले रास्ते के लिए अल्मोड़ा…

5 years ago

पंद्रहवीं शताब्दी की उत्तराखण्डी प्रेम कहानी

उत्तराखण्ड की भी अपनी कुछ ऐतिहासिक प्रेम कथाएँ हैं. राजुला-मालुसाई इनमें सर्वाधिक लोकप्रिय प्रेमकथा है. लेकिन कुछ अन्य प्रेम कथाएँ…

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उत्तराखंड ग्रामीण संस्कृति का हिस्सा ‘दाल-भात’

दाल-भात का उत्तराखंड ग्रामीण संस्कृति में पहला स्थान है. नामकरण, जनेव, शादी, बरसी सभी में दाल-भात मुख्य भोजन होता था.…

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“रिद्धि को सुमिरों सिद्धि को सुमिरों” – उत्तराखण्ड लोकसंगीत की विलुप्त वैरागी परम्परा

बुजुर्ग लोग बताते हैं कि आज से कोई पांच-छह दशक पूर्व तक गुरु गोरखनाथ की परंपरा के नाथ पंथी योगी…

5 years ago

ऐसे बनती है उत्तराखंड में दही रखने वाली ‘ठेकी’

[बागेश्वर के कन्यालीकोट गाँव के लोग परंपरा से ही लकड़ी की ठेकियां बनाते आ रहे हैं. बड़े पैमाने पर लकड़ी…

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गुप्तकाशी: जहाँ शिव गुप्तवास पर रहे

उत्तराखण्ड के गढ़वाल मंडल के रुद्रप्रयाग जिले में बसा है (Guptkashi) गुप्तकाशी. यह क़स्बा केदारघाटी में मन्दाकिनी नदी के सुन्दर…

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खजुराहो की शिल्पकला की झलक है चम्पावत के बालेश्वर मंदिर में

खजुराहो की शिल्पकला समाहित किये कामसूत्र की परम्परा का अनुसरण करती पत्थर की मूर्तियाँ कुमाऊँ में या तो अल्मोड़ा के…

5 years ago