उत्तराखण्ड (Uttarakhand) में कई ऐसी जातियां हैं जो राजस्थान के मिरासियों की तरह ही पेशेवर रूप से गायन-वादन का ही…
जागर (Jagar) उत्तराखण्ड (Uttarakhand) के गढ़वाल और कुमाऊँ मंडलों में प्रचलित पूजा पद्धतियों (Worship System) में से एक है. पूजा…
चौमू देवता का मूलस्थान चम्पावत जनपद में गुमदेश स्थित चमलदेव में है किन्तु चम्पावत के अतिरिक्त पिथौरागढ़ में वड्डा के…
सुप्रसिद्ध गढ़वाली कवि-इतिहासकार तारादत्त गैरोला ने अंग्रेज ई. शर्मन ओकले के साथ मिलकर कुमाऊँ और पश्चिमी नेपाल की लोककथाओं (Uttarakhand…
कालीचौड़ गौलापार में स्थित काली माता का प्रख्यात मंदिर है. हल्द्वानी से 10 किमी और काठगोदाम से 4 किमी की…
असंख्य मेले लगते हैं हर साल उत्तराखंड में उत्तराखंड सरकार का संस्कृति मंत्रालय अपनी संस्कृति को बचाने के नाम पर…
जियारानी (Jiarani) कत्यूरी वंश की रानी थी. खैरागढ़ के कत्यूरी सम्राट प्रीतमदेव उनके पति हुआ करते थे. हल्द्वानी शहर, उत्तराखंड…
[उत्तराखंड (Uttarakhand) में मनाया जाने वाला घुघुतिया त्यार (Ghughutiya)अब वैसे उत्साह से नहीं मनाया जाता. एक समय बच्चों के सबसे…
घुघुतिया त्यार के अनेक नाम उत्तराखंड में मकर संक्रांति (Makar Sankranti) को घुघुतिया (Ghughutiya) संक्रांति या पुस्योड़िया संक्रांति भी कहते…
हल्द्वानी में निकलता है हर साल उत्तरायणी का जुलूस उत्तरायणी (Uttarayani) के अवसर पर हल्द्वानी (Haldwani) नगर में एक जुलूस…