पिछली कड़ी मौसम को करवट बदलते देख वापस हो लिए. मर्तोली गांव की गलियों में भटकने लगे. जिन गलियों में…
पिछली कड़ी सुबह बारिश ने जोर पकड़ लिया था. बारिश रूकने का इंतजार करने लगे. लखनऊ की ज्योलोजिकल सर्वे आफ…
पिछली क़िस्त का लिंक – जोहार घाटी का सफ़र - 5 मुनस्यारी को जोहार घाटी का प्रवेश द्वार भी कहा…
पिछली कड़ी पिण्डारी कांठा में चार दिन पांच अक्टूबर के प्रातः ही चाय के पश्चात् चन्दोल, तेवारी, शाहजी और कीर्तिचन्द…
पिछली कड़ी 30 सितम्बर के प्रातः एक नेपाली कुली को अल्यूमीनियम की सीढ़ी के शीघ्र बुढ़ियागल के नाले तक पहुंचाने…
पिछली कड़ी दूसरे दिन प्रातः चाय के पश्चात् शाह जी थ्रीश कपूर और मैं पुनः खाती गांव गये. कुलियों के…
पिछली कड़ी पहली जून 1994 को जब अस्कोट-आराकोट अभियान दल मुनस्यारी पहुंचा, दल के अधिकांश सदस्य मेरे पूर्व परिचित मित्र…
पिछली क़िस्त का लिंक – जोहार घाटी का सफ़र -4 'मामा अब नहीं आएंगे हम ट्रैकिंग में... ! मिलम गांव से…
उत्तराखण्ड की पावन भूमि आदिकाल से ही मानव सभ्यता का गढ रही है. मनीषीयों, विद्वानों, साधु-सन्तों, विचारकों और तपस्वियों की…
मैं चित्रकूट से तब से वाकिफ हूं जब मैं पांचवी कक्षा में पढ़ती थी. जानते हैं कैसे? दरअसल मेरे पापा…