जब कभी कोई डॉक्टर मेरे खून की जांच करता है,तो उसमें निर्बाध प्रवाह, कुछ भांग, जखिया, गंद्रायणी जैसी खुशबू पाता…
ईजा कल मरेगी या परसों इसी उधेड़बुन में रात का दूसरा पहर भी बीत गया. करीब दस साल बाद आज…
https://www.youtube.com/embed/8hOF8fULL-8 महानगरों से आने वाली अधिकतर बस पहाड़ी इलाकों में तड़के सुबह ही प्रवेश करती है. सुबह की ताज़ी हवा…
4G माँ के ख़त 6G बच्चे के नाम – बत्तीसवीं क़िस्त पिछली क़िस्त का लिंक: बच्चे से बढ़कर और उससे पहले भला…
शुमाखर की बहुचर्चित किताब है, "स्माल इस ब्यूटीफुल." भारत जैसे विविधता भरे खेती -किसानी के माहौल के लिए इस किताब…
पहाड़ और मेरा जीवन- 56 मैं विद्यार्थी जीवन के दौरान और बाद में भी कई बार पैसों को लेकर थोड़ी…
जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय जिसे हम जेएनयू के नाम से जानते हैं. इस यूनिवर्सिटी को कुछ लोगों ने जान-बूझकर देशद्रोहियों का…
धारचूला में टेलीफोन का पदार्पण 1961 में तहसील बनने के बाद ही हुआ होगा क्योंकि उससे पहले उसके आने की…
जाड़ों में पहाड़ों की रसोई में एक स्पेशल परोसे जाने का रिवाज है. इस थाली में बड़ी, भांग की चटनी,…
सभी बंधनों को दरकिनार कर दिल्ली में रह रहा वो पहाड़ी लड़का अब अपने गांव वापस लौट जाना चाहता है.…