यहां भाबर के लिए एक शब्द अक्सर प्रयोग में लाया जाता है भबरी जाना, यानि खो जाना. यह बात पहले…
एक जाति-बिरादरी के लोग एक दूसरे से जुड़े एक कतार में घर बनाते तो इसे बाखली कहा जाता. बाखली के…
हर व्यक्ति का अपने मूल, विशेषकर जन्मस्थान के साथ बड़ा भावनात्मक जुड़ाव रहता है. मेरा जन्म उत्तराखंड के जनपद पौड़ी…
पहाड़ और मेरा जीवन – 60 (पिछली क़िस्त: वह भी क्या कोई उम्र थी पिताजी ये दुनिया छोड़कर जाने की)…
लेखककीय अस्मिता और स्वाभिमान के मूल्य पर कभी समझौता ना करने वाले शैलेश मटियानी पहले अल्मोड़ा में दिखाई देते थे.…
पहाड़ में परंपरागत बने मकानों में स्थानीय रूप से उपलब्ध पत्थर, मिट्टी, लकड़ी का प्रयोग होता रहा. हवा और धूप…
नैनीताल में मेरे क्लासफैलो थे कामरेड दीनबंधु पन्त. विचारधारा से वामपंथी इन जनाब की खासियत यह थी कि वे पारिवारिक…
विकास के साथ उपज रहे विनाश के खतरों से आगाह करते हुए यह चेतावनी बार बार दी जाती रही है…
उसके चेहरे पर आग की दहक से उभरने वाली चमक बिछी थी... आंखें भट्ठी की आग पर टिकी हुईं. बीच-बीच…
उचाणा को मेरो मैर, कनो पड़े गंगाळ! बग्द-बग्द मैर गए देवप्रयाग बेड़, हेरी हेरी दिदा ऐग्यूं रीति घर! हे शोभनू…