प्रो. मृगेश पाण्डे

उत्तराखण्ड का पारंपरिक पहनावा और जेवर

पहाड़ में नंगा सर रहना बुरा समझा जाता था. सर में टोपी डालने का चलन था. कम हैसियत वाले धोती…

4 years ago

गोबर की खाद डालना हो या गाज्यो काटना, पहाड़ों में सब काम मिल बांटकर होते हैं

पहाड़ों में पर्यावरण चक्र के हिसाब से खेती के तरीके विकसित हुए हैं. छः ऋतुओं और बारह महीनों में कोई…

4 years ago

पहाड़ में काम करने न करने पर लोक विश्वास

पहाड़ में कुछ काम करने न करने पर कुछ लोक विश्वास भी बने रहे जैसे यात्रा करने में वारदोख का…

4 years ago

पहाड़ के जनमानस में बेहद जरूरी हिस्से की तरह स्थापित है वनों की सम्पदा

वनस्पति जगत से मैत्री सम्बन्ध बने, आस्था के प्रतीक रूप में जीवंत हुए. तुलसी, पीपल में जल चढ़ा तो उसकी…

4 years ago

‘बाखली’ जोड़कर रखती है परिवार, पशु-पक्षी और पेड़-पौधों को एक साथ

एक जाति-बिरादरी के लोग एक दूसरे से जुड़े एक कतार में घर बनाते तो इसे बाखली कहा जाता. बाखली के…

4 years ago

बड़ी मेहनत से बनती है पहाड़ की कुड़ी

पहाड़ में परंपरागत बने मकानों में स्थानीय रूप से उपलब्ध पत्थर, मिट्टी, लकड़ी का प्रयोग होता रहा. हवा और धूप…

4 years ago

विकास के साये में हमारी लोक थाती

विकास के साथ उपज रहे विनाश के खतरों से आगाह करते हुए यह चेतावनी बार बार दी जाती रही है…

4 years ago

सीमांत उत्तराखंड में जाड़ संस्कृति व भाषा

जाड़ गंगा भागीरथी नदी की सबसे बड़ी उपनदी है. ग्यारह हजार फीट की ऊंचाई पर भैरोंघाटी में भागीरथी और जाड़…

4 years ago

कोई बताए मेरे महबूब को, मेरे पास प्याज की दौलत है

बड़ा बेदर्द है ये कमबख्त प्याज. हर जगह से गायब और जहां कहीं नमूदार तो जेबों में सुराख करने पे…

4 years ago

स्माल इज ब्यूटी फुल : जैविक उत्पादन की ओर उत्तराखंड

शुमाखर की  बहुचर्चित किताब है, "स्माल इस ब्यूटीफुल." भारत जैसे विविधता भरे खेती -किसानी के माहौल के लिए इस किताब…

4 years ago