Featured

जब भगवान शिव हिमालय से अपनी बहनों को भिटौली देने उतरते हैं

उत्तराखंड में इन दिनों भिटौली का महीना है. इस महीने भाई अपनी बहन या पिता अपनी पुत्री को भिटौली देते हैं. भिटौली के विषय में अधिक इस लेख में पढ़िए. भै भुको, मैं सिती : भिटौली से जुड़ी लोककथा

इसी महीने की पूर्णिमा के दिन उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में चैतोल पर्व मनाया जाता है. पिथौरागढ़ के 22 गावों में मनाया जाने वाला यह पर्व दो दिन तक मनाया जाता है.

इस पर्व के संबंध में मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव स्वयं हिमालय से अपनी बहन भगवती को मिलने आते हैं. इसी कारण जिन गावों में चैतोल के पर्व में गाँव की बेटियां कोशिश करती हैं कि चैतोल के दिन वे अपने मायके आयें.

भगवान देवल समेत को भगवान शिव का ही रूप माना जाता है. सबसे पहले देवल समेत बाबा की छतरी तैयार की जाती है जिसे स्थानीय भाषा में छात कहा जाता है. छात के साथ देव डोला भी तैयार किया जाता है. इसके बाद इस छात को सभी 22 गांवों में घुमाया जाता है.

भाई और बहिन के संबंधों पर आधारित यह त्यौहार सोर घाटी के लोग बड़े जोश से मनाते हैं. पिथौरागढ़ में यह यह देव डोला घुनसेरा गांव, बिण, चैंसर, जाखनी, कुमौड़, मुख्यालय स्थित घंटाकरण के शिव मंदिर लाया जाता है.

यहां से यह डोला 22 गांवों में अपनी 22 बहिनों से मिलने जाता है. कहा जाता है कि सोर घाटी में शिव की 22 बहिनें मां भगवती के अवतार में रहती हैं.

चैत के महीने शिव अपनी इन बहिनों से मिलने उनके घर जाते हैं. माना जाता है कि यह डोला जिस जिस गांव से होकर जाता है वहां किसी प्रकार की प्राकृतिक आपदा नहीं आती है. इस पर्व को अच्छी फसल की कामना के लिए भी मनाया जाता है.

परम्परागत रूप से यह भी माना जाता है कि जिन गांवों में छात भगवती भेंटने आती है उन गांवों में होली का त्यौहार नहीं मनाया जाता है. सोर घाटी के कई गांवों में आज भी होली का रंग नहीं पड़ता है.

-काफल ट्री डेस्क

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Girish Lohani

Recent Posts

हो हो होलक प्रिय की ढोलक : पावती कौन देगा

दिन गुजरा रातें बीतीं और दीर्घ समय अंतराल के बाद कागज काला कर मन को…

1 week ago

हिमालयन बॉक्सवुड: हिमालय का गुमनाम पेड़

हरे-घने हिमालयी जंगलों में, कई लोगों की नजरों से दूर, एक छोटी लेकिन वृक्ष  की…

1 week ago

भू कानून : उत्तराखण्ड की अस्मिता से खिलवाड़

उत्तराखण्ड में जमीनों के अंधाधुंध खरीद फरोख्त पर लगाम लगाने और यहॉ के मूल निवासियों…

2 weeks ago

यायावर की यादें : लेखक की अपनी यादों के भावनापूर्ण सिलसिले

देवेन्द्र मेवाड़ी साहित्य की दुनिया में मेरा पहला प्यार था. दुर्भाग्य से हममें से कोई…

2 weeks ago

कलबिष्ट : खसिया कुलदेवता

किताब की पैकिंग खुली तो आकर्षक सा मुखपन्ना था, नीले से पहाड़ पर सफेदी के…

2 weeks ago

खाम स्टेट और ब्रिटिश काल का कोटद्वार

गढ़वाल का प्रवेश द्वार और वर्तमान कोटद्वार-भाबर क्षेत्र 1900 के आसपास खाम स्टेट में आता…

2 weeks ago