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कुमाऊं के इतिहास का एक और विस्मृत पृष्ठ- 3

नीलू कठायत- 

दूसरे दिन तड़के ही जस्सा राजप्रसाद पहुंचे. महाराज को बतलाया की नीलू कठायत महरों के साथ मिलकर एक घोर षड्यंत्र की योजना बना रहा है. उसके दोनों लड़के संयोग से कल रात मुझे मिल गए. मामा के घर जा रहे थे. पूछने पर उन्होंने सब बातें मुझे बतलाइ. मैंने उन्हें अपने घर में कैद कर लिया है अन्नदाता ! अब क्या किया जाए?  आप आदेश दीजिए. राजा नीलू से अप्रसन्न थे ही षड्यंत्र की बात ने आहुति में घी का काम किया. तुरंत दोनों लड़कों को अंधा कर दिया जाए और आजन्म कारावास दिया जाए. सांप के बच्चे साथ ही होते हैं. नीलू आस्तीन का सांप है. जस्सा ने तुरंत आदेश का पालन किया. गोरल चौड़े दोनों निर्दोष बालकों की आंखें निकलवा दी गई. राज बंदी गृह में दोनों को कैद कर लिया गया. बेचारे निर्दोष बालक अपनी निर्दोषिता की दुहाई देते रहे. कुम्मयाँ सिरोपा के अधिकारी के बच्चों के साथ यह क्रूर व्यवहार हुआ. जस्सा कामलेखी की मुराद पूरी हुई.

अभय महर को भांजे के साथ क्रूर व्यवहार की सूचना मिली. जस्सा कमलेखी के काली करतूतों के सारे भेद उसने अपने पिता के पास सिरमोली भेजें. सिरमोली के महरों में आग फैल गई. निर्दोष बच्चों के साथ हुए अत्याचार, अन्याय का प्रतिशोध लेने के लिए महर उतावले हुए. बूढ़े सिरमौर महर ने तुरंत पत्र वाहक द्वारा एक पत्र अपने दामाद नीलू के पास कपरौली भेजा. पत्र में लिखा तुम अपने गांव में बैठे आनंद मना रहे हो. जानते हो जस्सा और राजा ने तुम्हारे होनहार बच्चों की क्या गत की है. उन्हें अंधा कर कैद में डाल दिया है. व्यर्थ है तुम्हारा बल पौरुष. क्या प्राणों की बाजी लगाकर मडुआ माल जीतने का यही पुरस्कार है. राज भक्ति की क्या यही भेंट है. धिक्कार है तुम्हारे बाहुबल को.

पत्र पढ़कर नीलू कथायत का एक बार स्तब्ध हो गया. किंकर्तव्यविमूढ़ हो गया. उसकी वीरांगना पत्नी ने उसे चेतना दी. कर्तव्य की ओर ध्यान दिलाया. दुष्टता कुटिलता मक्कारी अन्याय से जुड़ने के लिए उत्साहित किया. नीलू ने भयंकर प्रतिशोध लेने का दृढ़ निश्चय किया. अपने इष्ट मित्रों तथा महरों की विशाल सेना लेकर चंपावत पर चढ़ाई कर दी. जस्सा को दंड देने और राजा को सन्मार्ग पर लाने के लिए. युद्ध में गरुड़ ज्ञानचंद पराजित हुए. अपनी जान बचाने अब राजा और जस्सा थर्प छोड़कर उडियार ( खोह ) में जा छिपे. नीलू ने राजा और जस्सा की सारी राजधानी में खोज की. पर कहीं पता नहीं मिला. आस-पास के गांव में पता लगाया असफलता ही मिली.

एक दिन नीलू ने एक आदमी को राजबुग से देखा. वह एक हथियानौला की ओर जा रहा था. हाथ में उसके एक टोकरी थी. कदाचित उसमें खाने का सामान था. नीलू ने अपने सैनिकों को उस आदमी का पीछा करने भेज दिया. देखें वह क्या करता है? कहां जाता है? सैनिक नौले के पास पहुंचे. देखा वह आदमी एक खोह से बाहर निकल रहा है. इस समय टोकरी उसके हाथ में न थी. सैनिकों ने उसे बंदी बना लिया. खोह में जाने का कारण पूछा? वह गूंगा बना रहा. उसे नीलू कठायत के पास लाए. नीलू ने उसके साथ बड़ा शिष्ट बर्ताव किया. उसके डर को दूर किया उसे पूरा आश्वासन देकर गुफा में जाने का कारण पूछा. आदमी रोने लगा. रोते-रोते उसने बताया कि उसको उडियार में नीलू के डर से राजा और जस्सा छिपे हैं, मैं उनके लिए प्रतिदिन खाना ले जाता हूं.

नीलू तुरंत थोड़े सैनिकों के उस गुफा की ओर गया. गुफा लंबी और अधूरी थी. मशाल की रोशनी में उसने एक कोने में दुबके राजा और जस्सा को देख लिया. उसने सैनिकों को आदेश दिया कि जस्सा को कैद कर दो. जस्सा रस्सियों से जकड़ दिया गया. राजा सोच रहे थे कि अब उनकी बारी है पर नीलू राजा के चरणों में गिर गया. महाराज आप देवता का अंश है. मैं आप पर अस्त्र नहीं चला सकता. जस्सा के कहने पर आपने मेरे बच्चों की आंखें निकलवा दी और उन्हें कारावास में बंदी करवा दिया. इस क्रूर और कुटिल जस्सा ने कारागार में मेरे नन्हें बच्चों को भूखों मरवा दिया. जस्सा को कठोर दंड दूंगा. इस कमलेख की दुर्ग की ईट से ईट बजा दूंगा. इसका और इसके सभी सगे संबंधियों का वध करूंगा. तब मुझे चैन मिलेगा. आप राजा हैं आप राजबुंग चलिए और पूर्व राज्य कीजिए. इतना कहकर नीलू ने जस्सा का वध राजा के सामने ही गुफा में कर दिया. महरों की सेना ने कमलेख का दुर्ग ले लिया. जस्सा के गांव के सब लोग मारे गए. दुर्ग को तोड़ दिया. आज भी कमलेख गांव में इस दुर्ग के खंडहर इस भयानक प्रतिशोध की याद दिलाते हैं. कहते हैं नीलू के सैनिकों ने कमलेख की स्त्रियों बच्चों को भी नहीं छोड़ा. सारा गांव उजाड़ दिया.

बाहरी तौर पर राजा ज्ञानचंद नीलू से बड़े प्रसन्न हुए. उसके सारे अधिकार और गांव लौटा दिए. उसे फिर बक्शी का पद दिया गया. पर भीतर ही भीतर नीलू को मार डालने का षड्यंत्र चल रहा था. राजा नीलू से डरते थे. साथ ही उसकी सर्वप्रियता भी उन्हें खलती थी. एक दिन नीलू  राजबुग से रात्रि के समय अपने घर जा रहे थे. रास्ते में भाड़े के हत्यारों ने उसे घेर लिया. नीलू ने दो चारों को तलवार के घाट उतार दिया पर अनेक से कैसे जुझ सकता था. राज भक्त नीलू कठायत राजा के आदेश पर मारा गया. माल का विजेता अनन्य राजभक्त, अप्रतिम योध्दा नीलू कठायत को राज भक्ति का यह कठोर पुरस्कार मिला पर नीलू और उसका वंश कुर्मांचल के इतिहास में राज भक्ति के लिए अमर हो गया ज्ञान चंद की बड़ी अपकीर्ति हुई. जनता की निगाह में नीचे गिर गए.

( समाप्त )

श्री लक्ष्मी भंडार अल्मोड़ा द्वारा प्रकाशित पुरवासी के 11वें अंक में नित्यानन्द मिश्रा जी के लेख के आधार पर

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Girish Lohani

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