फ्वां बाघा रे वाले खतरनाक नरभक्षी बाघ की असल रोमांचक दास्तान

5 years ago

आजकल पहाड़ों में ही नहीं देश-विदेश में “फ्वां बाघा रे” गीत की बहुत चर्चा है. यह गीत इतिहास की  एक…

धन की देवी का वाहन और मृत्यु का सूचक एक ही जीव कैसे हो सकता है

5 years ago

होशियारी की मिसाल होते हैं. इंग्लैण्ड-अमेरिका में. विश्वास न हो तो उनके साहित्यकोश की तलाशी ले लो. एज़ वाइज़ एज़…

कहां गया हमारे पहाड़ का चुआ

5 years ago

अब तो भूले-बिसरे ही याद आता है हमें रामदाना. उपवास के लिए लोग इसके लड्डू और पट्टी खोजते हैं. पहले…

पुलिस कर्मियों की त्रासद मृत्यु तक को मखौल में बदल देता है सोशल मीडिया

5 years ago

[हाल में नैनीताल के बीरभट्टी के समीप हुए हादसे में दिवंगत हुए पुलिसकर्मियों को लेकर सोशल मीडिया के कुछ हिस्सों…

मसाण, आंचरी, खबीस और ऐड़ी : कुमाऊं-गढ़वाल में निवास करने वाली पारलौकिक शक्तियां

5 years ago

मृत्यु के बाद आदमी कहां जाता है? इस प्रश्न ने मानव सभ्यता को हजारों सालों से असमंजस में डाला है.…

‘तीलै धारू बोला’ कहीं उत्तराखण्डी महिलाओं की व्यथा-कथा तो नहीं?

5 years ago

जब से हमने होश संभाला, कुमांऊनी का गाना – ‘चैकोटकि पारबती तीलै धारू बोला बली, तीलै धारू बोला’ अथवा ‘ओ…

भातरोजखान के थानाध्यक्ष नीरज भाकुनी की अपील पर अपने मृत साथियों का जिम्मा स्वयं उठाया उत्तराखंड पुलिसकर्मियों ने

5 years ago

2 दिन पूर्व हुई सड़क दुर्घटना में मारे गए सिपाही ललित मोहन व नंदन सिंह की मृत्यु के उपरांत थाना…

मारे गए पुलिसवालों के परिवारों को क्राउड फंडिंग के सहारे छोड़ देना क्या खुद सरकार की बदनामी नहीं है

5 years ago

एक उपन्यास की यह  पंक्तियां हैं – “पुलिस कर्मचारी की एक हसरत रहती है कि वह सम्मान से जिए और…

गंगोलीहाट की डॉ. सविता जोशी जो गुड़गांव में गेरु और बिस्वार से ऐपण बना कर देश और दुनिया में अपनी संस्कृति को लोकप्रिय बना रही हैं

5 years ago

ऐपण हमारी परवरिश का एक हिस्सा रहा है जो बाद में केवल महिलाओं और लड़कियों तक सीमित रह गया. ऐपण…

जब हरु देवता ने बारह साल की कैद से मुक्त कराया सैम देवता को

5 years ago

कुमाऊं  के जागरों में ‘छिपुलाकोट का हाड़’ के नाम से सैम की एक जागर गाथा गायी जाती है जिसमें बताया…