लोक कथा : सोने की बत्तख

3 years ago

एक गांव में रहने वाले निर्धन दंपत्ति के तीन बेटे थे. बड़ा बेटा माँ का प्यारा था तो मंझला पिता…

सियार का फैसला- लोक कथा

3 years ago

एक सियार था. एक बार वह अपने शिकार की तलाश में निकला. उसने दूर से देखा, एक आदमी एक बाघ…

नववर्ष के दिन बोया जाता है ‘हरेला’

3 years ago

माना जाता है कि चैत्र प्रतिपदा से नये साल की शुरुआत होती है आज के दिन से ही नवरात्रि भी…

अस्पताल में सुविधाओं की कमी से जूझ रहा पहाड़ का गांव

3 years ago

उत्तराखंड की पुष्कर सिंह धामी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल के शुरुआती चार महीने के बजट के लिए लगभग 21 हज़ार करोड़…

पहाड़ों में इस अंदाज में मनेगा आज नववर्ष

3 years ago

आज चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा का दिन है. आज के दिन से नवरात्रि शुरु होती है और हिन्दू नववर्ष…

लोक कथा : आगे की लकड़ी जलकर पीछे ही आती है

3 years ago

किसी गांव में एक बूढ़ी अपनी बहू के साथ रहा करती थी. बूढ़ी सास का शरीर जर्जर हो चुका था,…

नौकरशाहों के लिये पर्वतीय इलाकों में तैनाती मतलब सजा है

3 years ago

उत्तराखंड राज्य बनने से पहले उत्तर प्रदेश सरकारी नौकरशाही शब्दावली में इसका पूरा पर्वतीय पनिशमेंट पोस्ट के रूप में जाना…

कुमाऊं के वीर योद्धा नीलू कठायत की अनसुनी गौरव गाथा

3 years ago

गरुड़ ज्ञान चंद के समय चम्पावत के राजदरबार में बक्सी (सेनापति) के पद पर सरदार नीलू कठायत था. संभव है,…

मुंशी प्रेमचंद की कहानी ‘घर जमाई’

3 years ago

हरिधन जेठ की दुपहरी में ऊख में पानी देकर आया और बाहर बैठा रहा. घर में से धुआँ उठता नजर…

कुमाऊनी भाषा की पहली पत्रिका ‘अचल’

3 years ago

1937 में साल के अंत-अंत तक कुमाऊनी में एक पत्रिका का विचार जीवन चन्द्र जोशी के दिमाग में जगह बना…