हैडलाइन्स

उत्तराखंड के सबसे युवा मुख्यमंत्री को अल्मोड़े से उम्मीद भरी एक चिट्ठी

प्रिय पुष्कर सिंह धामी,
सबसे पहले तो आपको सूबे का नया मुख्यमंत्री बनने के लिए हार्दिक शुभकामनाएं. इतनी कम उम्र में जो आपने उपलब्धि हासिल की वह हर किसी के बूते की बात नहीं. आप अपनी पार्टी में देख ही रहे हैं कि कुछ लोग अब तक सीएम वेटिंग ही हैं. आपको एक मौका मिला है 20 हाल से बदहाल एक राज्य की हालत ठीक करने का.
(A Letter to Uttarakhand CM)

आपके पास समय बहुत कम है और हर काम आप पूरा नहीं कर सकते, इससे मैं भी इत्तेफाक रखता हूं लेकिन एक युवा ऊर्जावान सीएम से कुछ उम्मीदें तो मैं कर सकता हूं. जानता हूं कि आपके लिए यह कांटों भरा ताज है. आपकी पार्टी में ही आपको कुछ लोग सीएम स्वीकार भले ही कर चुके हैं पर आपकी राह में रोड़े हर हाल में लगाएंगे ताकि 2022 में उनका सपना पूरा हो जाए.

आप आने वाले 6 महीनों में जनहित में कुछ बड़े काम करके मील का पत्थर साबित कर सकते हैं. उत्तराखंड राज्य के पास पिछले 21 सालों से कोई स्थाई राजधानी नहीं हैं. गैरसैंण के लेकर उत्तराखंड के वक्त के आंदोलन के समय ही राजधानी को लेकर सबकी सहमति रही है‌. आप पहाड़ की राजधानी पहाड़ में बनाकर हमेशा के लिए इतिहास में अपना नाम दर्ज कर सकते हैं. उत्तराखंड आंदोलन में शहीद लोगों को आपकी ये सच्ची श्रद्धांजलि होगी.

इसके अलावा राज्य में स्वास्थ्य एक ऐसा मुद्दा है जिसको लेकर हम उदासीन रहे हैं. पिछले पांच साल से हमारे राज्य के पास एक स्वास्थ्य मंत्री तक नहीं है. आपसे पहले को दो मुख्यमंत्रियों ने इसे अपने पास ही रखा. एक सीएम को कई चीजों से डील करना होता है, ऐसे में आपसे उम्मीद है कि आप किसी योग्य व्यक्ति को स्वास्थ्य मंत्री का पद देकर स्वास्थ्य के आधारभूत ढ़ांचे को मजबूत करने की कोशिश करेंगे. इसके लिए आपको प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और ज़िला अस्पतालों लकी हालत दुरस्त करनी होगी. डॉक्टर, नर्स और अन्य मेडिकल स्टाफ की कमी पूरी करनी होगी. यह एक काम कर सकते हैं और इससे की लोगों की नौकरी भी मिलेगी. हजारों युवाओं को नौकरी देकर आप उनका नौकरी का सपना भी पूरा कर सकते हैं.
(A Letter to Uttarakhand CM)

तीसरा काम आप भ्रष्टाचार पर लगाम लगा सकते हैं. पहाड़ के दूरदराज क्षेत्र में रहने वाले लोगों को अपने काम करवाने के लिए दलालों का सहारा लेना पड़ता है. राशन कार्ड बनाने से लेकर पेंशन तक वो इन दलालों के भरोसे हैं‌. आप ऐसे लोगों की मदद के लिए वॉलिंटियर की भर्ती कर सकते है जो उनकी मदद करें. नौकरशाही पहाड़ों पर बुरी तरह हावी है. ये लोग खुद को सरकार से ऊपर समझते हैं अगर आप इन पर लगाम लगाकर इनसे जनता के लिए काम करवा पाए तो आप यकीन मानिए 6 महीने में एक बदलाव जरूर नगर आएगा उत्तराखंड में.
(A Letter to Uttarakhand CM)

एक पत्रकार और पहाड़ का नागरिक होने के नाते ये सलाह मैं आपको दे रहा हूं. उम्मीद है कि ये चिट्ठी अगर आप तक पहुंचती है तो आप एक बार इस पर विचार करेंगे.

हेमराज सिंह चौहान

विविध विषयों पर लिखने वाले हेमराज सिंह चौहान पत्रकार हैं और अल्मोड़ा में रहते हैं.

हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें: Kafal Tree Online

इसे भी पढ़ें: पहाड़ी गांवों और शहरी कस्बों के बीच चौड़ी होती खाई

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Kafal Tree

Recent Posts

अंग्रेजों के जमाने में नैनीताल की गर्मियाँ और हल्द्वानी की सर्दियाँ

(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में आज से कोई 120…

2 days ago

पिथौरागढ़ के कर्नल रजनीश जोशी ने हिमालयन पर्वतारोहण संस्थान, दार्जिलिंग के प्राचार्य का कार्यभार संभाला

उत्तराखंड के सीमान्त जिले पिथौरागढ़ के छोटे से गाँव बुंगाछीना के कर्नल रजनीश जोशी ने…

2 days ago

1886 की गर्मियों में बरेली से नैनीताल की यात्रा: खेतों से स्वर्ग तक

(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में…

3 days ago

बहुत कठिन है डगर पनघट की

पिछली कड़ी : साधो ! देखो ये जग बौराना इस बीच मेरे भी ट्रांसफर होते…

4 days ago

गढ़वाल-कुमाऊं के रिश्तों में मिठास घोलती उत्तराखंडी फिल्म ‘गढ़-कुमौं’

आपने उत्तराखण्ड में बनी कितनी फिल्में देखी हैं या आप कुमाऊँ-गढ़वाल की कितनी फिल्मों के…

4 days ago

गढ़वाल और प्रथम विश्वयुद्ध: संवेदना से भरपूर शौर्यगाथा

“भोर के उजाले में मैंने देखा कि हमारी खाइयां कितनी जर्जर स्थिति में हैं. पिछली…

1 week ago