व्यक्तित्व

पिथौरागढ़ रामलीला में रावण का किरदार निभाने वाले योगेश भट्ट

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जनपद पिथौरागढ़ टकाना रामलीला का निर्देशन एवं रावण का अभिनय कर रहे योगेश भट्ट कहते हैं –
(Yogesh Bhatt Ravan Takana Ramlila)

दुःख में हे राम, पीड़ा में अरे राम ,लज्जा में हाय राम, अशुभ में अरे राम राम, अभिवादन में राम-राम, शपथ में रामदुहाई, अज्ञानता में राम जाने अनिश्चितता में राम भरोसे, अचूकता के लिए रामबाण, मृत्यु के लिए रामनाम सत्य, सुशासन के लिए रामराज्य, जैसी अभिव्यक्तियां पग-पग पर राम को साथ खड़ा करतीं हैं. राम भी इतने सरल हैं कि हर जगह खड़े हो जाते हैं. हर भारतीय उन पर अपना अधिकार मानता है. जिसका कोई नहीं उसके लिए राम हैं, निर्बल के बल राम. असंख्य बार देखी सुनी पढ़ी जा चुकी रामकथा का आकर्षण कभी नहीं खोता. राम पुनर्नवा हैं. हमारे भीतर जो कुछ भी अच्छा है, वह राम है. जो शाश्वत है, वह राम हैं. सब-कुछ लुट जाने के बाद जो बचा रह जाता है, वही तो राम है. घोर निराशा के बीच जो उठ खड़ा होता है, वह भी राम ही है.

बचपन के उन दिनों की याद जब हम दोस्तों के साथ कंचे खेलने, पतंगबाजी करने इस मैदान में जाया करते और रामलीला के दिनों घर से बोरे ले जाकर रामलीला देखने के लिए अपनी जगह संरक्षित कर लिया करते थे. अभिनय का शौक तो बहुत था परंतु मंच में जाने से बहुत डर लगता था. कभी कल्पना भी नहीं की थी देश की इस ऐतिहासिक विरासत के संरक्षण में मैं एक दिन अपनी भूमिका का सशक्त निर्वहन करुंगा. हमारे पड़ोस में रामलीला की तत्कालीन निर्देशक स्व. दिनेश पंत हारमोनियम वादक जीवन पंत रहा करते थे. उनके द्वारा 1996 में बाल अंगद की प्रथम भूमिका निभाने का अवसर प्रदान किया तभी से मैं टकाना रामलीला मंच से जुड़ा हूं. मैंने रावण सेनानी, केवट, सीता स्वयंवर के दिन राजा, सुबाहु, विभीषण, हनुमान आदि कई पात्रों की भूमिका का निर्वहन भी किया है.

योगेश भट्ट

रंगमंच की ओर कॉलेज टाइम से ही रुझान रहा जनपद की अग्रणी नाट्य संस्था अनाम के साथ डॉ एहसान बख़्स के निर्देशन में रंग कार्यशालाओं में प्रतिभाग तथा नाटक करने का अवसर प्राप्त हुआ. कई नाटक भोलाराम का जीव, कहानी एक टुकड़ों में, कोर्ट मार्शल, ईदगाह, गधे की बारात, प्लेटफार्म, ताजमहल का टेंडर, चंद्र सिंह गढ़वाली आदि कई नाटकों में सहपाठियों के साथ मिलकर प्रदेश स्तर तक प्रतिभाग भी किया. बाल रंग कार्यशाला में अनाम संस्था के साथ जुड़कर मंच की बारीकियां निश्चित रूप से समझने में आसानी हुई.
(Yogesh Bhatt Ravan Takana Ramlila)

यदि मैं अपने रावण के रूप में भूमिका निर्वहन करने की बात करूं तो वर्ष 2007 में रामलीला के तत्कालीन रावण के पात्र ने रावण का अभिनय करते-करते अंत दिवस जब रावण मरण होता है उस दिन रावण का अभिनय करने से मना कर दिया. उस वर्ष मैं टकाना रामलीला में हनुमान का अभिनय कर रहा था परंतु व्यवस्थापूर्वक मुझे रावण का अभिनय करना पड़ा. जैसे ही मैं घर पहुंचा तो मेरी माता जी के मुंह से यही शब्द निकले बेटा पूरी रामलीला में अभिनय करने के लिए वो और मरने के लिए तू?

विज्ञान लोकव्यापीकरण के क्षेत्र में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार की संदर्भ इकाई के रूप में पूरे भारतवर्ष में संदर्भ व्यक्ति के रूप में तथाकथित चमत्कारों की वैज्ञानिक व्याख्या करने का दायित्व भी मेरे द्वारा उठाया गया, जिसमें यह मिथक कि इस रामलीला में रावण का पात्रता करने वाला व्यक्ति अल्पायु में ही मृत्यु को प्राप्त हो जाता है मेरे द्वारा तोड़ने का कार्य किया गया है. मैंने रामलीला में रावण का मात्र किरदार निभाने का प्रयास किया है परंतु उसे अपने अंदर समाहित नहीं होने दिया. इस बात का मुझे निश्चित गर्व है.
(Yogesh Bhatt Ravan Takana Ramlila)

तब से लेकर आज वर्ष 2023 तक 17 वर्ष हो गए रावण का अभिनय करते हुए. वर्ष 2010 से टकाना रामलीला का मंचीय निर्देशक भी हूं, मेकअप भी करता हूं. कुल मिलाकर भगवान श्री राम की सेवा के भाव से इस टकाना रामलीला के साथ मेरा आत्मीयता का समर्पण है, मेरी माता जी सदा साध्वी प्रवृत्ति की रही है और मेरे स्वर्गीय पिताजी ने तो इस मंच के निर्माण में भी अपने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. रामचरितमानस का पाठ अखंड रामायण का घर में आयोजन और स्थानीय हनुमान मंदिर में जाकर सुंदरकांड पाठ यह मेरी परवरिश में मेरी माता द्वारा डाला गया है और मेरी आत्मा का एक हिस्सा है. जिसमें भगवान की दया से निरंतरता बनी हुई है.

रामलीला के दौरान मैं अपनी संस्था लोक संचार एवं विकास समिति, पिथौरागढ़ के सभी महत्वपूर्ण कार्यालयी दौरों को भी त्याग देता हूं. दर्शकों से मिलने वाला प्रोत्साहन निश्चित रूप से मेरे मनोबल को संबल प्रदान करता है कि मैं अपने अभिनय से सभी का दिल जीतने में कामयाब हो जाऊं. वर्ष 2012 में लोहाघाट रामलीला में हुए प्रतिस्पर्धा में टकाना का अंगद रावण संवाद सर्वश्रेष्ठ चुना गया. यही सभी कुछ क्षण जो आज भी मेरे लिए प्रेरणादायी हैं.

निश्चित रूप से मेरे घर वाले भी मेरे रावण बनने पर विरोध करते हैं परंतु यह विरोध उस समय नगण्य हो जाता है जब मेरे मन की आत्मा मुझे राम कार्य के लिए प्रेरित करती है. यह विरोध के स्वर उस समय अत्यंत गौण लगते हैं जब सामाजिक सराहना प्राप्त होती है. बस राम जी के कार्य को इसी भाव से निभा रहा हूं जिस प्रकार समुद्र मंथन में एक गिलहरी ने भी अपना योगदान दिया था.
(Yogesh Bhatt Ravan Takana Ramlila)

टकाना रामलीला मंचन के आज के वास्तविक स्वरूप हेतु परम आदरणीय स्व .हीरा बल्लभ पांडे, स्व. अर्जुन सिंह महर, स्व. दिनेश पंत, जीवन पंत, चंद्रशेखर सत्यवाली, केदार भट्ट, रामदत्त भट्ट, भुवन पांडे, दिनेश उपाध्याय, मोहनलाल वर्मा, यशवंत सिंह महर, मनीष पंत, महेश चंद्र पंत, कृष्ण अवस्थी, उमेश चौबे, आनंद फर्तयाल, गिरजा जोशी, पंकज पांडे, हेम जोशी, हरिकृष्णा, प्रकाश भट्ट, भुवन उप्रेती, मनोज रावत, राजूपाल, विजय भट्ट, किरन बिष्ट सहित सभी रामलीला कलाकारों तथा कार्यकर्ताओं की बहुत अच्छी टीम है, जो टकाना रामलीला के उत्थान हेतु चिंतनशील है वह समाज को एक स्वस्थ मनोरंजन देने के लिए संकल्पबद्ध हैं ताकि भगवान राम के आदर्श जन-जन तक पहुंच सके.

पंकज कुमार पांडेय

मूल रूप से पिथौरागढ़ जिले के रहने वाले पंकज कुमार पांडेय युवा पत्रकार हैं. वर्तमान में पंकज दैनिक भास्कर से जुड़े हैं.

इसे भी पढ़ें: जिनके बिना अधूरा है पिथौरागढ़ में ‘टकाना की रामलीला’ इतिहास

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