हाल ही में फिल्मकार भारतबाला की फिल्म ‘वीमेन ऑफ़ मुनस्यारी’ रिलीज़ हुई. यह फिल्म मुनस्यारी की महिलाओं की अदम्य आत्मशक्ति और जंगल की दिव्य चेतना के मध्य एक अलौकिक सम्बन्ध की मनोरम कथा है. ‘वीमेन ऑफ़ मुनस्यारी’ नारीत्व और प्रकृति की अद्भुत सुंदरता की एकता को अनावृत्त करती एक हृदयस्पर्शी कहानी है. यह फिल्म उत्तराखंड सीरीज की फिल्मों की श्रृंखला में नवीनतम पेशकश है, जो वर्चुअल भारत और रूरल इंडिया सपोर्टिंग ट्रस्ट (आरआईएसटी) के बीच सहयोग से निर्मित है. फिल्म में अभिनय करने वाले मुख्य कलाकार कमला पांडे, बीना नितवाल, हीरा टोलिया, बसंती रावत, बीना वर्मा, और मलिका विर्दी हैं . फिल्म की निर्देशक रचिता गोरोवाला और क्रिएटर भारतबाला हैं. (Women Of Munsiyari Documentary)
मुनस्यारी की महिलाओं के लिए मुनस्यारी के मनमोहक जंगल उनका मायका है. ये महिलाएं इन अलौकिक वनों की संरक्षकों के रूप में यहां विचरण करती हैं. जंगलों की ये प्रहरी महिलाएं मानो यहां के शापित जल और रूढ़िवादिता की जंजीरों से प्रेरणा और जीवन-शक्ति प्राप्त करती हैं, ऐसा प्रतीत होता है जैसे मुनस्यारी के जंगलों की दिव्य चेतना द्वारा आशीर्वादित हो ये प्रहरी महिलाएं इस विस्तृत वन्यप्रदेश की रक्षा और संरक्षण हेतु स्वयं शक्तिरूप हो जाती हैं. और ये वन अपने आँचल में इन महिलाओं को मातृत्वपूर्ण प्रेम से आच्छादित करते हुए उनके रक्षक, विश्वास पात्र और उनके हर सुख और दुःख के अमर साक्षी रहते हैं. मुनस्यारी की महिलाएँ इन पहाड़ों में 100 साल से अधिक समय से प्रचलित वनपंचायत (ग्राम वन परिषदों की एक अद्वितीय प्रणाली) की रक्षा करती हैं, और श्रमदान के माध्यम से जल स्त्रोतों और घास के मैदानों का रख-रखाव करती हैं. उन्हें भली प्रकार ज्ञात है कि जंगल की समृद्धि उनके अपने अस्तित्व से अलंघनीय रूप से जुड़ी हुई है.
भारतबाला की यह प्रस्तुति मुनस्यारी की महिलाओं से प्रेरित उनकी महिमा का गौरवपूर्ण उद्द्घोष है. यह फिल्म उत्तराखंड सीरीज की “वीमेन ऑफ़ अल्मोड़ा” और “नोमैड्स लैंड: वन गुज्जर्स” की प्रशंसित कहानियों की विरासत को आगे बढ़ाती है.
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर रिलीज हुई फ़िल्म ‘वीमेन ऑफ़ मुनस्यारी’ पहाड़ की महिलाओं की अंतरात्मा और जीवट को नमन है. फिल्म महिलाओं और प्रकृति के बीच के अद्वितीय, अकाट्य बंधन को समर्पित है.
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