Featured

वरेण्यम क्रिएशन्स: उत्तराखण्ड के सांस्कृतिक जगत की नयी उम्मीद

एक छोटे से राज्य के मामूली से गाँवों-कस्बों के कुछ युवा एक छोटे से शहर में पढ़ाई करने के दौरान आपस में मिलते हैं. कुछ अनगढ़ सांस्कृतिक गतिविधियाँ करते हुए खुद को पहचानते हैं, पहचान कर तराशते हैं. कुछ आगे बढ़ते हैं और फिर एक लम्बी छलांग लगाते हैं. संस्कृति के क्षेत्र में कुछ सार्थक कर गुजरने की इनकी प्यास इन्हें महानगरों के भव सागर में पहुंचा देती है. वहां इनमें से कुछ खुद के हुनर को नयी ऊँचाई देते हैं और अपना अच्छा मुकाम बनाते हैं. सालों बाद ये दोबारा उसी शहर में लौटते हैं जहाँ से इनके सफर की शुरुआत हुई थी. लेकिन इस बार ये यहाँ पहुँचते हैं इस मिट्टी के लिए कुछ कर गुजरने की चाहत लिए. मिट्टी, जहाँ पहली बार इनके सपनों की कोंपलें फूटी और पनपी थीं. फ़िल्मी सी लगने वाली यह कहानी है हल्द्वानी के एमबीपीजी कॉलेज के कुछ पूर्व छात्रों की. जिन्होंने कभी कॉलेज में बेहतर सांस्कृतिक गतिविधियों के लिए ‘वरेण्यम’ ग्रुप बनाया था. अब ये दोबारा साथ हैं और उत्तराखण्ड की सांस्कृतिक दुनिया के लिए कुछ कर गुजरने के इनके इरादों का बदला हुआ नाम है वरेण्यम क्रिएशन्स (Varenyam Creations)

प्रतिभाशाली युवाओं का समूह ‘वरेण्यम’ एक नयी जमीन पर उत्तराखण्ड के सांस्कृतिक जगत को कुछ बेहतर देने के लिए ‘रीयूनियन’ हुआ है. टीम वही है मगर कौशल की भट्टी में तपकर निखरी हुई. लम्बे समय तक विभिन्न क्षेत्रों में खुद को तराशने के बाद टीम के सभी युवा अब ‘वरेण्यम क्रिएशन्स’ के बैनर तले कुछ नए संकल्प लेकर इकट्ठा हुए हैं. इसकी औपचारिक घोषणा हल्द्वानी में हुए एक लॉन्चिंग समारोह के जरिये की गयी.

वरेण्यम की इस दूसरी पारी की धमाकेदार शुरुआत एक बेहद कर्णप्रिय गीत के साथ की गयी है‘–आ पास आ.’ गीत को अपनी सुरीली आवाज दी है हल्द्वानी की प्रतिभाशाली गायिका राधा द्विवेदी ने. इसे संगीतबद्ध किया है अमन और नितेश की जोड़ी ने. वीडियो का कुशल निर्देशन और फिल्मांकन किया है मुम्बई में सिनेमेटोग्राफर के रूप में अपना ख़ास मुकाम बना चुके उत्तराखण्ड मूल के विनय फुलारा ने. इन सभी की जड़ें एमबीपीजी कॉलेज और हल्द्वानी शहर के अतीत से गहरे जुड़ी हुई हैं.

2010 से 2014 के बीच हल्द्वानी एमबीपीजी कॉलेज में अध्ययन करने के दौरान कॉलेज के सांस्कृतिक कार्यक्रमों, एनएसएस आदि गतिविधियों में भागीदारी करते हुए उत्तराखण्ड के अलग-अलग शहरों, कस्बों और गाँवों के कुछ छात्र-छात्राएं सहज सम्पर्क में आये. सांस्कृतिक गतिविधियों के जुनूनी इन छात्र-छात्राओं ने अपने सपनों को उड़ान देने के लिए एक सांस्कृतिक ग्रुप भी बनाया. इस ग्रुप को नाम दिया गया ‘वरेण्यम’

कॉलेज में विभिन्न सांस्कृतिक प्रस्तुतियां देने के दौरान ही इन सभी ने कला के क्षेत्र में पूरी तरह डूबने का संकल्प ले लिया. रियाज और अभ्यास में खुद को साधते रहने के बाद इन्हें अपने कॉलेज से बाहर भी प्रस्तुतियां देने का मौका मिलने लगा. नए-नए छात्र इस टीम के साथ जुटने लगे और कारवां बढ़ता चला गया. विभिन्न स्तरों पर प्रतियोगिताओं में प्रतिभाग करने और सफलता का स्वाद चखने का एक सिलसिला चल निकला.

हुनर भला स्कूल, कॉलेज और शहर की सरहदों तक कैद रहने वाला था. हल्द्वानी से शुरू हुआ सफर नैनीताल जिले से होता हुआ राज्य स्तर तक जा पहुंचा. कई सांस्कृतिक प्रतियोगिताओं में कामयाबी मिली तो राष्ट्रीय स्तर पर उत्तराखण्ड का प्रतिनिधित्व करने का अवसर भी मिलना ही था. नतीजा यह निकला कि राष्ट्र-स्तरीय कार्यक्रमों में अपने बच्चों को प्रतिभाग करता देख माता-पिता और परिवारजनों की शंकायें भी दूर हुईं और उनका प्रोत्साहन मिलने लगा.

स्थितियां ऐसी बनीं कि ये युवा कला के विभिन्न क्षेत्रों को शौक के साथ अपना करियर बनाने के बारे में भी सोचने लगे. कुछ इस सोच को अमल में लाने की तरफ बढ़े तो कुछ यहीं ठहर भी गए. इस रस्ते पर आगे बढ़ने के लिए जो बचे उनके ऊपर दूसरों के सपनों को जीने की भी जिम्मेदारी रही. उन्होंने खुद को इस अलग राह पर डाल दिया.

अपने जैसे सपने देखने वाले अन्य युवाओं के नक्शेकदम पर ये चल पड़े दिल्ली, मुंबई की मायावी दुनिया में अपने सपनों को पंख लगाने.

टीम के एक युवा सदस्य विनय फुलारा ने इस दौरान जहां सिनेमेटोग्राफी की बारीकियां सीखीं, वहीं की अमन सब्बरवाल ने संगीत की बारीकियों में अपनी पकड़ बनाई. राम लोहनी और जगमोहन परगाईं शास्त्री गायन के सागर में उतरते चले गए. बांसुरी वादक नितेश बिष्ट तो लम्बी छलांग लगाकर साउंड इन्जिनियर के रूप में बॉलीवुड की नयी पीढ़ी के अगुवा और भविष्य की उम्मीद बन गए.

अब यह इकट्ठा हुए हैं उत्तराखण्ड के सांस्कृतिक जगत को कुछ ताजा और महकता देने की जिद के साथ. वरेण्यम क्रिएशन्स के बारे में नितेश बिष्ट ने बताया कि इसका उद्देश्य अच्छी गुणवत्ता के गीत-संगीत का निर्माण करना है. हमारी प्रतिबद्धता संस्कृति के साथ ही अपने लोक के लिए भी है. लिहाजा वरेण्यम क्रिएशन्स उत्तराखण्ड की लोकसंस्कृति के लिए भी काम करेगा. कुमाऊँ क्षेत्र के कलाप्रेमी भी इस पुनर्गठन को एक नयी उम्मीद के रूप में देख रहे हैं.

टीम की दूसरी पारी के ताजा गाने को नीचे दिए गए लिंक में सुनें–

हमारे फ़ेसबुक पेज से जुडें: काफल ट्री ऑनलाइन

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Sudhir Kumar

Recent Posts

कुमाउँनी बोलने, लिखने, सीखने और समझने वालों के लिए उपयोगी किताब

1980 के दशक में पिथौरागढ़ महाविद्यालय के जूलॉजी विभाग में प्रवक्ता रहे पूरन चंद्र जोशी.…

21 hours ago

कार्तिक स्वामी मंदिर: धार्मिक और प्राकृतिक सौंदर्य का आध्यात्मिक संगम

कार्तिक स्वामी मंदिर उत्तराखंड राज्य में स्थित है और यह एक प्रमुख हिंदू धार्मिक स्थल…

3 days ago

‘पत्थर और पानी’ एक यात्री की बचपन की ओर यात्रा

‘जोहार में भारत के आखिरी गांव मिलम ने निकट आकर मुझे पहले यह अहसास दिया…

6 days ago

पहाड़ में बसंत और एक सर्वहारा पेड़ की कथा व्यथा

वनस्पति जगत के वर्गीकरण में बॉहीन भाइयों (गास्पर्ड और जोहान्न बॉहीन) के उल्लेखनीय योगदान को…

6 days ago

पर्यावरण का नाश करके दिया पृथ्वी बचाने का संदेश

पृथ्वी दिवस पर विशेष सरकारी महकमा पर्यावरण और पृथ्वी बचाने के संदेश देने के लिए…

1 week ago

‘भिटौली’ छापरी से ऑनलाइन तक

पहाड़ों खासकर कुमाऊं में चैत्र माह यानी नववर्ष के पहले महिने बहिन बेटी को भिटौली…

1 week ago