अंकिता भंडारी हत्याकांड में डिटेल्ड पोस्टमार्टम रिपोर्ट न आने की वजह से परिवार ने अंकिता के शव का दाह संस्कार करने से मना कर दिया है. उत्तराखंड पुलिस पहले दिन से आलोचना झेल रही है. त्वरित कार्यवाही करने के बावजूद उत्तराखंड पुलिस पर जनता का भरोसा शून्य जान पड़ता है.
(Uttarakhand Police Ankita Bhandari Case)
उत्तराखंड पुलिस की कारवाही मामले में लगातार सवालों के घेरे में रही है हालांकि उत्तराखंड पुलिस ने अपने फेसबुक पेज के माध्यम से ख़ुद पर सवाल न करने का चेतावनी भरा स्टेटस अपडेट किया है. उत्तराखंड पुलिस ने अंकिता के पिता का एक वीडियो साझा कर कहा है कि सोशियल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पुलिस को अन्यथा टारगेट कर पुलिस की कार्यप्रणाली में बाधा ना डालें और सोशियल मीडिया पर पुलिस को टारगेट करना बंद करें.
एक तरफ पुलिस अंकिता के पिता का वीडियो वायरल करने के भरसक प्रयास में है तो दूसरी ओर अंकिता के परिवार ने डिटेल्ड पोस्टमार्टम रिपोर्ट न आने की वजह से अंकिता के शव का दाह संस्कार करने से मना कर दिया है. वीडियो में साफ़ दिख रहा है कि परिवार अब भी शासन पर पूरी तरह भरोसा नहीं कर पा रहा है.
(Uttarakhand Police Ankita Bhandari Case)
उत्तराखंड पुलिस के पास इस बात का अब तक कोई जवाब नहीं है कि रिजार्ट में बुलडोजर किसने और क्यों चलवाया. रिजार्ट में बुलडोजर चलवाते समय स्थानीय विधायक रेणु बिष्ट वहां क्यों मौजूद थी? बीते दिन पोस्टमार्टम के बाद एम्स के बाहर उत्तराखंड पुलिस द्वारा किये लाठी चार्ज पर भी लोगों ने सवाल किये हैं.
जब घटना में मुख्य आरोपी पुलकित आर्य के पिता के साथ उत्तराखंड पुलिस महकमे के सबसे बड़े आलाधिकारी या प्रदेश के मुख्यमंत्री के साथ फोटो आयेगी तो जाहिर है जनता सवाल करेगी. शायद इन घटनाओं की वजह से ही उत्तराखंड पुलिस ख़ुद को टार्गेटेड महसूस कर रही होगी. आज जब हज़ारों की जनता मुर्दाघर के बाहर प्रशासन के खिलाफ हाईवे पर जाम लगाये खड़ी है तब भी पुलिस टार्गेटेड ही महसूस कर रही होगी.
पर क्या उत्तराखंड पुलिस सवाल पूछने पर भी चेतावनी भरे स्टेटस लगा सकती है? जहां मामले में अब एक अन्य लड़की की हत्या की खबरें भी जुड़ रही है वहां पुलिस का पूरा ध्यान अपनी पीठ थपथपाने में है. उत्तराखंड पुलिस ने त्वरित कार्यवाही कर जनता पर एहसान नहीं किया है बल्कि अपनी ड्यूटी की है.
(Uttarakhand Police Ankita Bhandari Case)
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पुलिस चाहती है कि जनता उसे टारगेट ना करे, लेकिन जनता का भरोसा टूटा क्यों इस बात का मंथन नहीं करना चाहती । परिपाटी अनुसार पुलिस अपराधी, आरोपी के साथ खड़ी दिखती है ना कि पीड़ित के साथ । अपनी छवि सुधारने की जिम्मेदारी पुलिस की है ना कि जनता की । जबतक विश्वास कायम नहीं होगा, संदेह के घेरे में तो रहोगे ।