हैडलाइन्स

सामान्य पुलिस बल जांच कर रहा होता तो अंकिता आज जिंदा होती : ऋतु खण्डूड़ी

उत्तराखण्ड विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खण्डूड़ी भूषण ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर राजस्व पुलिस की व्यवस्था को समाप्त कर सामान्य पुलिस की व्यवस्था लागू कर थाने-चौकिया स्थापित करने का अनुरोध किया है. (Ankita Bhandari Murder Case)

इसे भी पढ़ें : अंकिता भंडारी केस में अब तक क्या हुआ?

उन्होंने अंकिता की मृत्यु का एक कारण राजस्व पुलिस के भरोसे जांच को बताते हुए लिखा है “गंगा भोजपुर में यदि सामान्य पुलिस बल कार्य कर रहा होता तो निश्चित रूप से कु. अंकिता आज हमारे मध्य होती और आम जनता में सरकारी कार्यप्रणाली के प्रति इतना रोष व्याप्त नहीं होता.”

गौरतलब है कि उत्तराखण्ड को एक मध्ययुगीन आन्तरिक सुरक्षा प्रणाली के भरोसे झोंके रखने के सवाल पर पहले भी सवाल खड़े हुए हैं. राज्य गठन के एक दशक बाद भी उत्तराखण्ड के पर्वतीय इलाकों को नागरिक सुरक्षा की मूलभूत सुविधा उपलब्ध नहीं है. राज्य के 60 फीसदी हिस्से को आज भी राजस्व पुलिस के भरोसे रहना पड़ता है. इनके पास आपातकाल में सुरक्षा प्राप्त करने के लिए कोई कोई फोन नंबर तक नहीं है. इनकी सुरक्षा राजस्व अभिलेखों की जिम्मेदारी उठाने वाले पटवारी के पास होती है. पटवारी के पास न पुलिस की तरह सिपाही होते हैं, न हथियार, न ही अपराधियों से निपटने के लिए अन्य न्यूनतम संसाधन. राजस्व पुलिस के पास अपराधियों से निपटने के या अपराध की जांच करने का कोई प्रशिक्षण भी नहीं होता.     

2018 में उत्तराखण्ड उच्च न्यायलय भी राज्य सरकार को छह महीने के भीतर पाषाणकालीन राजस्व पुलिस प्रणाली की जगह नियमित पुलिस प्रणाली को सभी जिलों में लागू करने का आदेश दे चुका है. (Ankita Bhandari Murder Case)

हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें: Kafal Tree Online

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Sudhir Kumar

Recent Posts

स्वयं प्रकाश की कहानी: बलि

घनी हरियाली थी, जहां उसके बचपन का गाँव था. साल, शीशम, आम, कटहल और महुए…

18 hours ago

सुदर्शन शाह बाड़ाहाट यानि उतरकाशी को बनाना चाहते थे राजधानी

-रामचन्द्र नौटियाल अंग्रेजों के रंवाईं परगने को अपने अधीन रखने की साजिश के चलते राजा…

19 hours ago

उत्तराखण्ड : धधकते जंगल, सुलगते सवाल

-अशोक पाण्डे पहाड़ों में आग धधकी हुई है. अकेले कुमाऊँ में पांच सौ से अधिक…

2 days ago

अब्बू खाँ की बकरी : डॉ. जाकिर हुसैन

हिमालय पहाड़ पर अल्मोड़ा नाम की एक बस्ती है. उसमें एक बड़े मियाँ रहते थे.…

2 days ago

नीचे के कपड़े : अमृता प्रीतम

जिसके मन की पीड़ा को लेकर मैंने कहानी लिखी थी ‘नीचे के कपड़े’ उसका नाम…

2 days ago

रबिंद्रनाथ टैगोर की कहानी: तोता

एक था तोता. वह बड़ा मूर्ख था. गाता तो था, पर शास्त्र नहीं पढ़ता था.…

2 days ago