पिछले दिनों उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अपने ट्वीटर हैंडल पर मुनस्यारी के ट्यूलिप गार्डन की कुछ तस्वीरें साझा की. तस्वीरों के साथ अंग्रेजी में लिखे इस ट्वीट में मुख्यमंत्री ने लिखा कि
(MUNSIYARI ECO PARK CENTER)
मुनस्यारी स्थित ट्यूलिप गार्डन की पहली तस्वीरें साझा करते हुये मुझे ख़ुशी हो रही है. यह मेरे ड्रीम प्रोजेक्ट का हिस्सा था. पंचाचूली की पृष्ठभूमि पर बना यह ट्यूलिप गार्डन दुनिया के सबसे बड़े ट्यूलिप गार्डन में से एक होगा और मुनस्यारी में पर्यटन को बढ़ावा देगा.
यह ट्यूलिप गार्डन, मुनस्यारी नेचुरल एजुकेशन एंड इकोपार्क सेंटर का हिस्सा है. इस पार्क में रहने के लिये हट्स और टेंट की सुविधा है. 30 हेक्टेयर में फैले मुनस्यारी नेचुरल एजुकेशन एंड इकोपार्क सेंटर की कुछ तस्वीरें भी मुख्यमंत्री ने साझा की.
पर्यटन की अपार संभावना वाले मुनस्यारी की खूबसूरती के प्रति देश और दुनिया के लोगों के दिलो-दिमाग में एक अलग तरह का आकर्षण हैं. इसी के चलते यह पर्यटकों के बीच ख़ासा लोकप्रिय रहा है.
दुनिया में ट्यूलिप की 4000 से अधिक प्रजातियां पाई जाती हैं. ठंडे स्थानों में उगने वाले इस फूल का मूल स्थान टर्की माना जाता है. ईरानी भाषा के शब्द ट्यूलिप का अर्थ पगड़ी से होता है. 1500 मीटर से 2500 मीटर तक की ऊँचाई में उगने वाले इस फूल का वानस्पतिक नाम लिलिससई है.
(MUNSIYARI ECO PARK CENTER)
मुनस्यारी की काठगोदाम रेलवे स्टेशन से दूरी 295 किमी है. लम्बे सड़क मार्ग के बाद जब पर्यटक यहाँ पहुचंते हैं तो मुनस्यारी की वादियां एक अलग दुनिया में उसका स्वागत करती हैं. मुनस्यारी नेचुरल एजुकेशन एंड इकोपार्क सेंटर में ट्यूलिप गार्डन की तस्वीरें देखिये :
सभी तस्वीरें मुख्यमंत्री के ट्वीटर अकाउंट से ली गयी हैं.
हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें: Kafal Tree Online
काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री
काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें
उत्तराखंड, जिसे अक्सर "देवभूमि" के नाम से जाना जाता है, अपने पहाड़ी परिदृश्यों, घने जंगलों,…
शेरवुड कॉलेज, भारत में अंग्रेजों द्वारा स्थापित किए गए पहले आवासीय विद्यालयों में से एक…
कभी गौर से देखना, दीप पर्व के ज्योत्सनालोक में सबसे सुंदर तस्वीर रंगोली बनाती हुई एक…
शायद यह पहला अवसर होगा जब दीपावली दो दिन मनाई जाएगी. मंगलवार 29 अक्टूबर को…
तकलीफ़ तो बहुत हुए थी... तेरे आख़िरी अलविदा के बाद। तकलीफ़ तो बहुत हुए थी,…
चाणक्य! डीएसबी राजकीय स्नात्तकोत्तर महाविद्यालय नैनीताल. तल्ली ताल से फांसी गधेरे की चढ़ाई चढ़, चार…