Travelogue by Vinod Upreti

मर्तोली के बुग्यालों में चौमास में चरने वाले घोड़े और खच्चर गुलामी भूल जाते हैं

जब हम रालम और जोहार के लिए पिथौरागढ़ से निकले तो बरसात अपने चरम पर थी और रोड जगह जगह…

4 years ago

अस्सी साल के बुजुर्ग का परिवार संग गोरी नदी का खतरनाक नाला पार करना

नहर देवी में एक छोटे से बाड़े में पैतीस चालीस लोगों के बीच दब कर जैसे-तैसे रात बिताने के बाद…

4 years ago

मिलम ग्लेशियर का वह सफ़र जो आखिरी हो सकता था

मिलम, कहते हैं किसी समय अल्मोड़ा जिले के सबसे बड़े गांवों में एक गिना जाता था. यह इतना बड़ा था…

5 years ago

छिपला जात में स्वर्ग जाने का रास्ता

छिपला के दक्षिणी ढाल में भैमण गुफा में सभी यात्री अँधेरे में ही जाग कर आगे की यात्रा के लिए…

5 years ago

भैमण गुफा में अण्वाल की रसोई का लजीज आलू का थेचुवा और रोटियां

कनार में भगवती कोकिला के मंदिर में रात बिताने के बाद हम भुप्पी के घर मेहमान बने. कल हमने उनके…

5 years ago

छिपला जात में कनार गांव के लोगों की कभी न भूलाने वाली मेहमाननवाजी

मलैनाथ की कथा में छिपलाकोट से भागश्री को भगा लाने का बड़ा ही रोमांचक प्रसंग आता है. मलैनाथ सीराकोट के…

5 years ago

दारमा की अम्मा के नाम बेटे का बंद लिफ़ाफ़ा

जब हम सिनला की चढ़ाई पार कर रहे थे तो हमारे एक साथी की जेब में एक लिफाफा था. यह…

5 years ago

डेढ़ जूता और ठाणी की धार

तवाघाट से मांगती के बीच सड़क टूटी थी तो हमें तवाघाट से ठाणी धार चढ़कर चौदास होते हुए आगे बढ़ना…

5 years ago

अन्वालों के डेरे और ब्रह्मकमल का बगीचा

अंग्रेज भले हमें सालों गुलाम बना कर गए हों उनके प्रति हमारा आकर्षण कभी कम नहीं हुआ. जैसे ही हमें…

5 years ago

सिनला की चढ़ाई और सात थाली भात

पंद्रह अगस्त का दिन, बचपन से ही हमारे लिए उल्लास और उत्साह का दिन. लेकिन इस बार की पंद्रह अगस्त…

5 years ago