भंवर: एक प्रेम कहानी- अनिल रतूड़ी का हाल ही में प्रकाशित उपन्यास है. उपन्यास में लेखक ने लोक-जीवन से भरपूर…
तब यातायात के साधन सुलभ नहीं थे. उस समय इन दुर्गम पर्वतीय तीर्थों की यात्रा करना अति कठिन कार्य था.…
रियासत-काल में रास्ते दुरुह-दुर्गम थे. तब भी चारधाम यात्रा तो चलती ही थी. सन् 1880 में परिव्राजक विशुद्धानंद जी, जिन्हें…
व्यावहारिक- सामाजिक सन्दर्भों में 'व्यवस्था' का दृश्य-अदृश्य जितना व्यापक प्रभाव है साहित्यिक-सामाजिक विमर्श में ये उतना ही सामान्यीकृत पद है.…
‘खलंगा’ नेपाली भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ छावनी या कैंटोनमेंट होता है. अंग्रेज इतिहासकारों ने अपनी भाषिक समझ के…
संगीत का जादू सर चढ़कर बोलता है लोक का जादुई प्रभाव होता है. इन कथनों की सच्चाई दूरदर्शन के एक…
ऊंकू बामण बिर्तिकु काम छाई. कौ-कारज, ब्यौ-बरात, तिरैं-सराद मा खूब दान मिल्दु छाई. बामण भारि लद्दु-गद्दु बोकिक घौर लौटद छा.…
ललित मोहन रयाल ने हिंदी साहित्यिक जगत में अपनी पूर्व प्रकाशित दो पुस्तकों 'खड़कमाफी की स्मृतियों से' तथा 'अथ श्री…
कई बार भूत बेईमान निकल आता था. पता-ठिकाना पूछने पर गलत-सलत एड्रेस बताने लगता. इधर-उधर की बातें करके चकमा देता.…
गूढ़ रहस्यों और मर्मस्पर्शी भावों को व्यक्त करने में गढ़वाली बोली कितनी समर्थ है, इसका जायजा लेने की एक छोटी…