History of uttarakhand

1897 से होती है पिथौरागढ़ में रामलीला

पिथौरागढ़ में रामलीला सन 1897 से लगातार हो रही है. भीमताल के देवीदत्त मकड़िया को यहां रामलीला शुरू कराने का…

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पिथौरागढ़ रामलीला में लम्बे समय तक शूर्पणखा का किरादर निभाने वाले कल्लू चाचा उर्फ़ खुदाबख्श

पिथौरागढ़ की रामलीला में सबसे लंबे समय तक एक ही पात्र का अभिनय करने का कीर्तिमान संभवतः कल्लू चाचा उर्फ़…

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बिजली आने से पहले पहाड़ों की रामलीला में प्रकाश व्यवस्था

रामलीला मंचन के शुरुआती वर्षों में प्रकाश व्यवस्था के लिये चीड़ के पेड़ के छिल्कों का प्रयोग किया जाता था.…

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उत्तराखंड में जनांदोलनों के इतिहास में महत्वपूर्ण है 6 अक्टूबर की तारीख़

उत्तराखंड का वन आन्दोलन जवान होने लगा था. सुन्दर लाल बहुगुणा की ओजस्वी वक्तृता व लेखन, चंडीप्रसाद भट्ट के अनथक…

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ऐतिहासिक रहा है चनौदा का गांधी आश्रम

1929 में महात्मा गांधी ने कुमाऊं की यात्रा की थी. 22 दिनों की इस यात्रा में उनका लक्ष्य क्षेत्रीय स्तर…

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कुमाऊं के पहाड़ों में ऐसे लोग हैं जिनके पंख होते हैं और जो उड़ भी सकते हैं : बदायूंनी

रुद्रचंद, चंद शासकों में सबसे शक्तिशाली शासक के रूप में जाना जाता है. रुद्रचंद के शासन काल में ही चंद…

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जब पिथौरागढ़ का सारा सरकारी कामकाज बजेटी से चलाया जाता था

उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल का जब भी इतिहास लिखा गया है तब एक सामान्य धारणा यह बनाने की रही है…

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जब हल्द्वानी में पहली बार आई बिजली

1949-50 से पहले हल्द्वानी में सार्वजनिक प्रकाश व्यवस्था के लिये अधिकतर जगहों पर कैरोसिन तेल के लैम्प जलाये जाते थे.…

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1850 तक एक भी पक्का मकान नहीं था हल्द्वानी में

दस्तावेजों में हल्द्वानी का जिक्र 1824 में मिलता है जब उस साल हैबर नाम का एक अंग्रेज पादरी बरेली से…

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तब काठगोदाम से नैनीताल जाने के लिए रेलवे बुक करता था तांगे और इक्के

1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब 'अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं' में आज से कोई 120 बरस…

6 years ago