Brajbhushan Pandey

जाने का भी क्या समय चुना यार? अलविदा इरफ़ान!

लॉकडाउन घोषित होने से तक़रीबन बारह पंद्रह दिन पहले निर्माता दिनेश विजान की फ़िल्म ‘अंग्रेजी मीडियम’ की स्पेशल स्क्रीनिंग में…

4 years ago

मौत और मोहब्बत की संगत में एक विकट सफ़र

फ़रवरी के आख़िरी दिन थे. मौसम को उदास और झाड़ रूख को झंखाड कर देने वाली हवा चलने लगी थी…

4 years ago

शिक्षा जगत का बैल और खेतों का विद्यार्थी उर्फ़ भैया जी

हम सब उम्र के उस दौर में थे जिसे वय:संधि कहते हैं और जिसके वर्णन के बहाने पुराने कवियों ने…

4 years ago

नियति दानवी से लड़ कर विजेता राजकुमार बनने की कथाएं

साधो हम बासी उस देस के – 5 -ब्रजभूषण पाण्डेय (पिछली कड़ी : बार्क मतलब खाली भौंकना नहीं होता उर्फ़ कैस्केडिंग…

5 years ago

बार्क मतलब खाली भौंकना नहीं होता उर्फ़ कैस्केडिंग इफ़ेक्ट की बारीकियां

साधो हम बासी उस देस के – 4 -ब्रजभूषण पाण्डेय पिछली कड़ी : यह क्रांतिकारी दिन था मेला बीत चुका था.…

5 years ago

फ़िल्म इतनी इंटेंस है कि आपके वीकेंड का सारा मजा मूड ख़राब कर सकती है

ज़रा सोचें सच की तस्वीरों को आईने में हम उतारने चलें और तस्वीरें ही बोलने लगें, तो कैसा महसूस होगा…

5 years ago

यह क्रांतिकारी दिन था

साधो हम बासी उस देस के – 3 -ब्रजभूषण पाण्डेय टुच्ची और हमारी सारी उम्मीदें तो बस ग्रू के करम…

5 years ago

बारह मास विलास

साधो हम बासी उस देस के – 2 -ब्रजभूषण पाण्डेय मेला गाँव का पहले से लेकर तीसरे तक सबसे प्रमुख…

5 years ago

वह एक आधा कच्चा बचा गाँव था

साधो हम बासी उस देस के - 1 -ब्रजभूषण पाण्डेय हजरात हजरात हजरात! ये एक गांव की कहानी है. गंगा…

5 years ago