Bhuwan Chandra Pant

पिरूल के व्यावसायिक उपयोग से फायदे ही फायदे

उत्तराखण्ड में 500 से 2200 मीटर की ऊॅचाई पर बहुतायत से पाये जाने वाले चीड़ के पेड़ों की पत्तियों को…

5 years ago

उत्तराखण्डी गीतों में ‘अस्यारी को रेटा’ का मतलब

उत्तराखण्ड का लोकमानस जिस प्रकार अपनी सभ्यता व संस्कृति की एक अलग पहचान रखता है, उसी तरह यहां के लोकसाहित्य…

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‘तीलै धारू बोला’ कहीं उत्तराखण्डी महिलाओं की व्यथा-कथा तो नहीं?

जब से हमने होश संभाला, कुमांऊनी का गाना – ‘चैकोटकि पारबती तीलै धारू बोला बली, तीलै धारू बोला’ अथवा ‘ओ…

5 years ago

फतोड़ना कि गदोरना – अद्भुत है कुमाऊनी भाषा का शब्द भण्डार

भले कुमांउनी भाषा न होकर अभी तक बोली ही मानी जायेगी, क्योंकि न तो इस का मानकीकरण हुआ है और…

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कभी न भूलने वाली नैनीताल शहर की कुछ अद्वितीय शख्सियतें

नैनीताल को कुदरत ने जिस खूबसूरती की नियामत से नवाजा है, उतने ही दिलचस्प एवं अजीबोगरीब यहां के बाशिन्दों को…

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भवाली में रामलीला की परम्परा

पिछली सदी के साठ के दशक का एक कालखण्ड ऐसा भी रहा, जब भवाली की रामलीला में पिता हरिदत्त सनवाल…

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नैनीताल के प्रताप भैय्या जिनकी जीवन शैली में झलकता था समाजवाद

एक दौर था नैनीताल में - काली अचकन और सफेद चूड़ीदार पजामे में एक आकर्षक व्यक्तित्व आपको शाम के वक्त…

5 years ago