Bhuwan Chandra Pant

बेमौत ज़मींदोज़ हुए लोगों की भटकती आत्माएं ट्वाल के रूप में दिखती हैंबेमौत ज़मींदोज़ हुए लोगों की भटकती आत्माएं ट्वाल के रूप में दिखती हैं

बेमौत ज़मींदोज़ हुए लोगों की भटकती आत्माएं ट्वाल के रूप में दिखती हैं

पहाड़ की लोक परम्पराओं, लोक आस्थाओं एवं लोकपर्वों की विशिष्टता के पीछे देवभूमि के परिवेश का प्रभाव तो है ही…

3 years ago
‘बेड़ू पाको बारामासा’ लोकगीत पर एक विमर्श‘बेड़ू पाको बारामासा’ लोकगीत पर एक विमर्श

‘बेड़ू पाको बारामासा’ लोकगीत पर एक विमर्श

लोक के क्षितिज से उपजा और अन्तर्राष्ट्रीय फलक तक अपनी धमक पहुंचाने वाला कुमाऊॅ के सुपर-डूपर लोकगीत ‘बेड़ू पाको बारामासा’…

3 years ago
पहाड़ी लोकजीवन को जानने-समझने की बेहतरीन पुस्तक: मेरी यादों का पहाड़पहाड़ी लोकजीवन को जानने-समझने की बेहतरीन पुस्तक: मेरी यादों का पहाड़

पहाड़ी लोकजीवन को जानने-समझने की बेहतरीन पुस्तक: मेरी यादों का पहाड़

हमारा समाज विविधताओं से भरा है, उतनी ही अनोखी हैं, हर क्षेत्र की लोकसंस्कृति व लोकपरम्पराऐं. कमोवेश प्रत्येक लोकजीवन की…

3 years ago
स्वै- पहाड़ के गांवों की गाइनो और उससे जुड़ी रवायतेंस्वै- पहाड़ के गांवों की गाइनो और उससे जुड़ी रवायतें

स्वै- पहाड़ के गांवों की गाइनो और उससे जुड़ी रवायतें

पहाड़ चढ़ना जितना मुश्किल होता है, उस पर जिन्दगी बसर करना भी किसी चुनौती से कम नहीं होता. जीवन की…

3 years ago
दादी-नानी के नुस्खे वाली पंजीरी घर पर ऐसे बनायेंदादी-नानी के नुस्खे वाली पंजीरी घर पर ऐसे बनायें

दादी-नानी के नुस्खे वाली पंजीरी घर पर ऐसे बनायें

जाड़ों का मौसम हो तो अक्सर हमें गर्म तासीर वाली चीजों की आवश्यकता महसूस होने लगती है. विशेष रूप से…

3 years ago
शहादत के पचास वर्ष और वीरांगना की संघर्षपूर्ण दास्तांशहादत के पचास वर्ष और वीरांगना की संघर्षपूर्ण दास्तां

शहादत के पचास वर्ष और वीरांगना की संघर्षपूर्ण दास्तां

देश की सेना के शौर्य परम्परा  की गौरवपूर्ण गाथा में 16 दिसम्बर 1971 का दिन स्वर्णाक्षरों में अंकित हो गया,…

3 years ago
सम्प्रेषण की अद्भुत क्षमता रखते हैं कुमाऊनी लोकभाषा के समयबोधक शब्दसम्प्रेषण की अद्भुत क्षमता रखते हैं कुमाऊनी लोकभाषा के समयबोधक शब्द

सम्प्रेषण की अद्भुत क्षमता रखते हैं कुमाऊनी लोकभाषा के समयबोधक शब्द

शब्द अथवा शब्दों के समुच्चय से कोई भाव या विचार बनता है. यदि मात्र एक शब्द से ही हम किसी…

3 years ago
बचपन में दशहरा द्वारपत्र बनाने की ख़ुशगवार यादबचपन में दशहरा द्वारपत्र बनाने की ख़ुशगवार याद

बचपन में दशहरा द्वारपत्र बनाने की ख़ुशगवार याद

जब हम छोटी कक्षाओं के छात्र हुआ करते और बड़े भाई जो घर के मुखिया भी थे, पुरोहिती का कार्य…

4 years ago
ब्रह्मलीन होने से पहले सिद्धि मां को लिखी नीम करोली बाबा की एक पंक्तिब्रह्मलीन होने से पहले सिद्धि मां को लिखी नीम करोली बाबा की एक पंक्ति

ब्रह्मलीन होने से पहले सिद्धि मां को लिखी नीम करोली बाबा की एक पंक्ति

श्रद्धालुओं में निराशा है कि कोरोना वैश्विक महामारी के चलते 15 जून को कैंचीधाम में आयोजित होने वाला मन्दिर की…

4 years ago
गाली में भी वात्सल्य छलकता है कुमाउनी लोकजीवन मेंगाली में भी वात्सल्य छलकता है कुमाउनी लोकजीवन में

गाली में भी वात्सल्य छलकता है कुमाउनी लोकजीवन में

किसी भी सभ्य समाज में गाली एक कुत्सित व निदंनीय व्यवहार का ही परिचायक है, जिसकी उपज क्रोधजन्य है और…

4 years ago