“सम्यक् प्रकारेण विरोधाभावान् अपास्य समभावान् जीवनोपयोगिनः करोति इति संस्कृतिः” अर्थात संस्कृति वह है जो मानवता को विकृत करने वाले भावों…
उत्तराखण्ड अद्वितीय प्राकृतिक सुन्दरता और अनूठी लोकसंस्कृति से समृद्ध है. यहाँ के समाज में प्रचलित ढेरों किस्से-कहानियाँ मन को आनन्दित…
"मामा आ गए-मामा आ गए," चहकती हुई शारदा माँ के पास आई. माँ बोली, "मैं ना कहती थी, कोई मेहमान…
वेशभूषा से किसी भी इलाके के स्थानीय निवासियों की पहचान होती है. ये वेशभूषाएं पारंपरिक तौर पर पीढ़ी-दर-पीढ़ी पहनी जाती…
भारत के प्रथम ऐतिहासिक ग्रंथ राजतरंगिणी के रचियता कल्हण ने ठीक ही कहा है— श्लाध्यः स एव गुणवान् रागद्वेष बहिष्कृता भूतार्थकथने…