संस्मरण

जन्मदिन पर गिर्दा की याद

गिर्दा एक खूबसूरत आदमी थे. उम्दा कोनों, सतहों, गहराइयों-उठानों वाला तराशा हुआ गंभीर चेहरा और आलीशान जुल्फें. और बात करने…

5 years ago

दाड़िम के फूल – इस कहानी की एक कहानी है

मेरी कहानी ‘दाड़िम के फूल’ की भी एक मजेदार कहानी है. आनंद तब आए जब इससे पहले मेरे दोस्त बटरोही की कहानी ‘बुरांश…

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उस दिन शिकार पर गया मैं पछेटिया बन कर

एक दिन मुझे पछेटिया बन कर सचमुच शिकार पर जाने का मौका मिल गया. पछेटिया मतलब शिकारी के पीछे-पीछे चलने…

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अल्मोड़े वाली आमां और उनका फिल्मी स्यापा

अल्मोड़े में होलिडे होम मुख्य सड़क मार्ग से थोड़ा उपर है. कैलाश मानसरोवर यात्रा के यात्रियों का पहला पड़ाव इसी…

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भाषण देते हुए जब मेरे पैर कांपते रहे, जुबान हकलाती रही और दिमाग सुन्न पड़ गया

पहाड़ और मेरा जीवन – 39 (पिछली कड़ी: जब संपादकीय टिप्पणी के साथ ‘जनजागर’ के मुखपृष्ठ पर मेरी कविता प्रकाशित…

5 years ago

हम सब की साझी विरासत है यह – गणेश मर्तोलिया की जोहार यात्रा

गणेश मर्तोलिया ने लोकसंगीत के क्षेत्र में अपनी एक अलग पहचान बनाई है. बेहद विनम्र स्वभाव के गणेश हर समय…

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अल्मोड़े का हॉलिडे होम और उसके निम्मी और कोहली

अल्मोड़ा में सबसे पहला प्रवास श्री गोपाल सिंह बिष्ट एवं श्री प्रशांत बिष्ट के सौजन्य से कुमाऊं मंडल विकास निगम…

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ओ ईजा! ओ मां! – पहाड़ की एक भीगी याद

बचपन से आज तक ईजा (मां) को कभी नहीं भूला. वह 1956 में विदा हो गई थी, जब मैं छठी…

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कल फिर आएंगे अंकल जी

अंकल और मैं बैठे धूप खा रहे हैं. अंकल, यानी मेरे पिता के बड़े भाई और परिवार के सबसे मूर्ख…

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हल्द्वानी के कर्नल ठुस्सू और उनकी दी हुई सीख

कर्नल ठुस्सू कर्नल ठुस्सू - इनके बारे में ज्यादा कुछ नहीं पता. सिवाय इनके हास्यास्पद नाम, पदनाम, पैनी नज़र और…

5 years ago