चंद्रशेखर तिवारी

फागुन को पौड़ी के बड़े याकूब का इन्तजार रहता हैफागुन को पौड़ी के बड़े याकूब का इन्तजार रहता है

फागुन को पौड़ी के बड़े याकूब का इन्तजार रहता है

होली है जो बैरभाव को जगाती है और न जात-पात को देखती है और न छोटे-बड़े का भेद समझती है.…

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बच्चों ने भरे थे टिहरी की होली में रंगबच्चों ने भरे थे टिहरी की होली में रंग

बच्चों ने भरे थे टिहरी की होली में रंग

हिमालय की उपत्यका में बसा गढ़वाल यूं तो अपनी, सांस्कृतिक, सामाजिक एवं धार्मिक आस्थाओं की वजह से अपनी गौरवमयी छवि…

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केशरबाग लगाया, मजा बादशाह ने पाया : कुमाऊनी बैठकी होली परम्पराकेशरबाग लगाया, मजा बादशाह ने पाया : कुमाऊनी बैठकी होली परम्परा

केशरबाग लगाया, मजा बादशाह ने पाया : कुमाऊनी बैठकी होली परम्परा

जब कभी पर्वतीय संस्कृति की चर्चा होती है, विशेषकर कुमाउंनी संस्कृति की तो स्वतः ही यहां की बैठकी होली (Kumaon…

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कभी तो खिलेंगे इन डारिन वे फूल : सतराली में होली की यादेंकभी तो खिलेंगे इन डारिन वे फूल : सतराली में होली की यादें

कभी तो खिलेंगे इन डारिन वे फूल : सतराली में होली की यादें

मेरा बचपन अल्मोड़ा के समीप सतराली में बीता. सतराली की होली प्रसिद्व थी. बसन्त पंचमी से होली गायन आरम्भ होता…

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खोलो किवाड़ चलो मठ भीतर : गढ़वाली होरी के गीतखोलो किवाड़ चलो मठ भीतर : गढ़वाली होरी के गीत

खोलो किवाड़ चलो मठ भीतर : गढ़वाली होरी के गीत

वसन्त ऋतु में होली का विशेष महत्व है. गढ़वाल में होली को होरी कहा जाता है. इस नृत्यगीत में ब्रजमंडल…

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रंग हमारो बिदेस सिधारो- कुमाऊनी होली पर चारू चन्द्र पांडे का लेखरंग हमारो बिदेस सिधारो- कुमाऊनी होली पर चारू चन्द्र पांडे का लेख

रंग हमारो बिदेस सिधारो- कुमाऊनी होली पर चारू चन्द्र पांडे का लेख

कुमाऊं की रंगीली होलियां -चारू चन्द्र पांडे कुमाऊँ में होलियों का पर्व बड़े उत्साह से मनाया जाता है, होली की…

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जिनके पिया परदेस बसत हैं : लखनऊ में कुमाऊनी होली की परम्पराजिनके पिया परदेस बसत हैं : लखनऊ में कुमाऊनी होली की परम्परा

जिनके पिया परदेस बसत हैं : लखनऊ में कुमाऊनी होली की परम्परा

'उत्तराखण्ड होली के लोक रंग' शेखर तिवारी द्वारा संपादित एक महत्वपूर्ण पुस्तक है. चंद्रशेखर तिवारी काफल ट्री के नियमित सहयोगकर्ता…

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रंग डारि दियौ हो अलबेलिन में – पहाड़ी होली पर गिर्दा का आलेख

काफल ट्री के नियमित सहयोगी चंद्रशेखर तिवारी ने 'उत्तराखण्ड होली के लोक रंग' नाम से एक महत्वपूर्ण पुस्तक का सम्पादन…

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चम्फाखाव की वह होली और रेबू जिठबाज्यू की जलेबियांचम्फाखाव की वह होली और रेबू जिठबाज्यू की जलेबियां

चम्फाखाव की वह होली और रेबू जिठबाज्यू की जलेबियां

उस बार कोसी नदी की घाटी में जब सरसों की पीली फसल को लहलहाते तथा दूर जंगलों में खिलते बुरांश…

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“रिद्धि को सुमिरों सिद्धि को सुमिरों” – उत्तराखण्ड लोकसंगीत की विलुप्त वैरागी परम्परा“रिद्धि को सुमिरों सिद्धि को सुमिरों” – उत्तराखण्ड लोकसंगीत की विलुप्त वैरागी परम्परा

“रिद्धि को सुमिरों सिद्धि को सुमिरों” – उत्तराखण्ड लोकसंगीत की विलुप्त वैरागी परम्परा

बुजुर्ग लोग बताते हैं कि आज से कोई पांच-छह दशक पूर्व तक गुरु गोरखनाथ की परंपरा के नाथ पंथी योगी…

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