गांव जाता था तो मुझे मां जैसी ही ताई, चाची, दीदी, बुआएं भी लगती थीं. मैं हैरान होता था कि…
हिंदी कवि मंगलेश डबराल को गुज़रे एक साल हुआ. नौ दिसंबर 2020 को कोरोना महामारी से उनकी जान गई. प्रस्तुत…
तुम्हें अपने कमरे से जाने की ज़रूरत नहीं है. अपनी मेज के पास बैठे रहो और सुनो. बल्कि सुनो भी…
कहानी से भागता, बिखरता और टूटता सेक्रेड गेम्स सीजन 2 : बेशक सेक्रेड गेम्स भाग दो, गायतोंडे, सरताज, परोलकर, माजिद,…
इस समय जरूरी है बांधों को लेकर उत्तराखंड के जनमानस के द्वंद्वों को सामने लाना. जो इतने भीषण और बहुआयामी…
वो अपनी ही कविता के एक लुटेपिटे हैरान से थकान से चूर खून और गर्द से भरे चेहरे वाले आदमी…
गांव जाता था तो मुझे मां जैसी ही ताई, चाची, दीदी, बुआएं भी लगती थीं. मैं हैरान होता था कि…
विलियम फॉक्नर का साक्षात्कार (अनुवाद : शिवप्रसाद जोशी) नोबेल पुरस्कार से सम्मानित अमेरिकी उपन्यासकार विलियम फॉक्नर (1897-1962) के एक प्रसिद्ध…