देवेन मेवाड़ी

कुमारस्वामी और काम के वे दिन

कहो देबी, कथा कहो – 45 पिछली कड़ी - कहां थे मेरे उजले दिन “हां, तो कहो देबी. फिर क्या…

5 years ago

कहां थे मेरे उजले दिन

कहो देबी, कथा कहो – 44 पिछली कड़ी - तोर मोनेर कथा एकला बोलो रे सांझ ढल गई थी और…

5 years ago

वनवासी टांगिया, बीहड़ों का बागी और वे अनोखे कारीगर

कहो देबी, कथा कहो – 37 पिछले कड़ी- कहो देबी, कथा कहो – 36 बैंक की नौकरी के दौरान मैं…

5 years ago

अनजाने संपेरे, नट और जादूगर

कहो देबी, कथा कहो – 36 पिछले कड़ी- कहो देबी, कथा कहो – 35 “कहो देबी, कहां चले गए थे?…

5 years ago

साथ चलती हुई चीजें : वे तखत, जड़ें और जैकेट

ललछोंह लकड़ी की इस टीवी ट्रॉली और किताबों की इन दो छुटकी रैकों को जब भी देखता हूं तो राजपुरा,…

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वह डायरी, ट्राजिस्टर और स्टोव

कतिपय कारणों से हमारे प्रिय लेखक देवेन मेवाड़ी की सीरीज कहो देबी, कथा कहो इस सप्ताह प्रकाशित नहीं की जा…

5 years ago

मेले में अकेले

कहो देबी, कथा कहो – 35 पिछले कड़ी- कहो देबी, कथा कहो – 34 उन्हीं दिनों एक लंबी यात्रा पिथौरागढ़…

5 years ago

हींग लगे न फिटकरी, मालिक की जै-जै : मेले कैसे-कैसे

कहो देबी, कथा कहो – 34 पिछले कड़ी- कहो देबी, कथा कहो – 33 वह नई शाखाओं के खुलने और…

5 years ago

नाटक में नाटक

कहो देबी, कथा कहो – 33 पिछले कड़ी- कहो देबी, कथा कहो – 32 नौकरी की आपाधापी में ही जब…

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इल्म-ओ-अदब का शहर लखनऊ

कहो देबी, कथा कहो – 32 पिछले कड़ी कहो देबी, कथा कहो –31 काम भी खाना-खज़ाना भी, यह सब तो…

5 years ago