कविता

कोई कवि होय हमें क्या हानीकोई कवि होय हमें क्या हानी

कोई कवि होय हमें क्या हानी

वैसे कविता के नाम पर लोगों की खाल में भूसा भरने की भारत में लंबी परंपरा रही है. अगर याद…

5 years ago
रह गई है अभी कहने से सबसे ज़रूरी बातरह गई है अभी कहने से सबसे ज़रूरी बात

रह गई है अभी कहने से सबसे ज़रूरी बात

कुछ कद्दू चमकाए मैंनेकुछ रास्तों को गुलज़ार कियाकुछ कविता-टविता लिख दीं तोहफ़्ते भर ख़ुद को प्यार किया अब हुई रात…

6 years ago
नफरत की ऑंधी है, फोटू में गॉंधी है और बाजार ही बाजार हैनफरत की ऑंधी है, फोटू में गॉंधी है और बाजार ही बाजार है

नफरत की ऑंधी है, फोटू में गॉंधी है और बाजार ही बाजार है

प्यार करते हैं नवीन सागर लालच और नफरत की ऑंधी हैफोटू में गॉंधी हैऔर बाजार ही बाजार है. ऐसे में…

6 years ago
मोबाइल पर उस लड़की की सुबहमोबाइल पर उस लड़की की सुबह

मोबाइल पर उस लड़की की सुबह

मोबाइल पर उस लड़की की सुबह-वीरेन डंगवाल सुबह-सवेरेमुँह भी मैलाफिर भी बोलेचली जा रहीवह लड़की मोबाइल पररह-रहचिहुँक-चिहुँक जाती हैकुछ नई-नई-सी…

6 years ago
जब सिल्ला वाले रात का खाना खाते हैं तब चिल्ला वाले सो चुके होते हैंजब सिल्ला वाले रात का खाना खाते हैं तब चिल्ला वाले सो चुके होते हैं

जब सिल्ला वाले रात का खाना खाते हैं तब चिल्ला वाले सो चुके होते हैं

सिल्ला और चिल्ला गाँव - लीलाधर जगूड़ी हम सिल्ला और चिल्ला गाँव के रहनेवाले हैंकुछ काम हम करते हैं कुछ…

6 years ago
शराब माफिया द्वारा मार डाले गए हिम्मती पत्रकार उमेश डोभाल की कविताएंशराब माफिया द्वारा मार डाले गए हिम्मती पत्रकार उमेश डोभाल की कविताएं

शराब माफिया द्वारा मार डाले गए हिम्मती पत्रकार उमेश डोभाल की कविताएं

17 फरवरी 1952 को उत्तराखंड के पौड़ी जिले में जन्मे उमेश डोभाल को एक निर्भीक पत्रकार के रूप में याद…

6 years ago
फादर्स डे स्पेशल : वीरेन डंगवाल की कविताफादर्स डे स्पेशल : वीरेन डंगवाल की कविता

फादर्स डे स्पेशल : वीरेन डंगवाल की कविता

रूग्‍ण पिताजी रात नहीं कटती ? लम्‍बी यह बेहद लम्‍बी लगती है ? इसी रात में दस-दस बारी मरना है…

6 years ago
मर्लिन मुनरो का टेलीफोन उठा लो परमेश्वर!मर्लिन मुनरो का टेलीफोन उठा लो परमेश्वर!

मर्लिन मुनरो का टेलीफोन उठा लो परमेश्वर!

क्या मर्लिन मुनरो का जीवन विश्व सिनेमा की सबसे बड़ी त्रासदी था? (Marilyn Monroe Birthday) यह सवाल मुझे बहुत लम्बे…

6 years ago
अगर समझ सको तो, महोदय पत्रकार!अगर समझ सको तो, महोदय पत्रकार!

अगर समझ सको तो, महोदय पत्रकार!

पत्रकार महोदय - वीरेन डंगवाल 'इतने मरे' यह थी सबसे आम, सबसे ख़ास ख़बर छापी भी जाती थी सबसे चाव…

6 years ago
तवाघाट कितना कुछ बताता है हमेंतवाघाट कितना कुछ बताता है हमें

तवाघाट कितना कुछ बताता है हमें

लखनऊ में रहने वाले वरिष्ठ पत्रकार-यायावर-कवि गोविन्द पन्त 'राजू' देश के पहले पत्रकार थे जिन्हें अन्टार्कटिका के अभियान में जाने…

6 years ago