उत्तराखंड

सरदार मान सिंह के रूप में सुन्दरलाल बहुगुणा

तीन बेटों और दो बेटियों के बाद 9 जनवरी 1927 को टिहरी रियासत के वन अधिकारी अम्बादत्त बहुगुणा के घर…

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हुड़के की गमक और हुड़किया बौल

उत्तराखण्ड में लोकगीतों की लम्बी परम्परा रही है. यह हमारा दुर्भाग्य है कि इसे लिखित रूप में सहेज कर रखने…

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कुमाऊनी लोकोक्तियाँ – 80

डा. वासुदेव शरण अग्रवाल ने एक जगह लिखा है - “लोकोक्तियाँ मानवीय ज्ञान के चोखे और चुभते सूत्र हैं.” यदि…

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गंदरायण: अंतर्राष्ट्रीय ठसक वाला पहाड़ी मसाला

गंदरायण, गंदरायणी, गंदरायन या छिप्पी नामों से जाना जाने वाला हिमालयी मसाला ठेठ पहाड़ी खान-पान का अहम मसाला है. राजमा,…

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आसमान टूट पड़ा

कहो देबी, कथा कहो – 27 पिछली कड़ी: कहो देबी, कथा कहो – 26 चंद्रशेखर लोहुमी को जानते हैं आप?…

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पारंपरिक लोक-संगीत की धरोहर ‘हरदा सूरदास’

बात कुछ साल पुरानी होगी. संभवतः 1980-81 की. मई-जून का महीना. नैनीताल टूरिस्टों से खचा-खच भरा हुआ. शहर की माल…

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कुमाऊनी लोकोक्तियाँ – 79

डा. वासुदेव शरण अग्रवाल ने एक जगह लिखा है - “लोकोक्तियाँ मानवीय ज्ञान के चोखे और चुभते सूत्र हैं.” यदि…

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घोड़ाखाल: धार्मिक आस्था और सैन्य शिक्षा का केंद्र

उत्तराखण्ड के कुमाऊँ मंडल के नैनीताल जिले का एक छोटा सा क़स्बा है भवाली. यह क़स्बा समुद्र तल से 1,654…

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बेटे-बहुएं दिल्ली चले गए घर में रह गए बूढ़े

2017 में उत्तराखंड राज्य सरकार द्वारा पलायन की समस्या निदान हेतु एक आयोग बनाया गया. मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में बने…

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और वह मुर्गी का चूजा दो महीने बाद जाने कहां से लौट आया

पहाड़ और मेरा जीवन भाग-15 (पिछली क़िस्त : और इस तरह रातोंरात मैं बुद्धू बच्चे से बना एक होशियार बालक…

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