समाज

लॉकडाउन और घर वापसी – एक छोटी कहानी

– कहाँ जा रहे हो? Short Lockdown Story Umesh Tiwari Vishwas

– घर वापस.

– यहाँ क्या परेशानी है?

– यहाँ खाने-पीने को नहीं मिल रहा है.

– पैदल ही चले जाओगे?

– हैं तो पैदल, देखते हैं मालिक कोई सवारी भेज दे.

– ये साथ में कौन हैं?

– हमारे साथी हैं, साथ में ही जायेंगे.

– रजिस्ट्रेशन नहीं करवाया?

– आधार की कापी और एकाउंट नंबर मांगे, दे दिया था.

– काम क्या करते हो?

– काम? काम कुछ नहीं करते.

– बेरोज़गार हो?

– नहीं विधायक हैं.

– मतलब?

– ये डंडा पीछे करो. हम अपनी पुरानी पार्टी में जा रहे हैं.

– पहले क्यों नहीं बताया सर?

– तुम्हारी परीच्छा ले रहे थे लॉकडाउन का पालन कड़ाई से करवा रहे हो कि नहीं.

– अरे सर…! आप भी!

– हमारी नीली कोच यहाँ से निकली तो नहीं?

– वो तो लंबी वाली रहेगी सर?

– हाँ, … तुम्हें कैसे मालूम?

– राजस्थान वाले टायम टी वी पर देखी थी सर.

– ओके-ओके, सड़क पर नज़र रखना, निकले ना.

– ठीक सर … कौन होटल में बुकिन है सर?

-तुमसे मतलब?

– टी वी वाले पूछते हैं सर, हमारी बाईट भी आ जायेगी. बीवी पड़ोस वालों को दिखा कर ख़ुश हो लेती है सर.

– अगर हम ग़लत बता दें तो?

– आप नहीं भी बताएं तो भी हम कुछ तो बतावेंगे सर. भगवान न करे आपके साथ कुछ उल्टा सीधा हो गया तो … हमें तो सही सूचना रहेगी.

नीली कोच आकर रुकी। दरवाज़े से एक मुच्छड़ निकला और सबको बारी-बारी अंदर ठेल दिया. दरवाज़ा बंद करते हुए बोला, “क्या विधायक जी, मास्क तो लगा लेते. आपकी पुरानी पार्टी के आदमी घूम रहे हैं, उठा लेते तो हमारी ध्याड़ी ख़राब हो जाती. अब बैठो भी … यो भी बताना पड़ेगा कि सोशल डिस्टेंसिंग करके बैठो?  Short Lockdown Story Umesh Tiwari Vishwas  

उमेश तिवारी ‘विश्वास’   

यह भी पढ़ें: कॉमनसेंस बोले तो दुर्लभ विवेक

उमेश तिवारी ‘विश्वास

काफल ट्री के फेसबुक पेज को लाइक करें : Kafal Tree Online

हल्द्वानी में रहने वाले उमेश तिवारी ‘विश्वास‘ स्वतन्त्र पत्रकार एवं लेखक हैं. नैनीताल की रंगमंच परम्परा का अभिन्न हिस्सा रहे उमेश तिवारी ‘विश्वास’ की महत्वपूर्ण पुस्तक ‘थियेटर इन नैनीताल’ हाल ही में प्रकाशित हुई है.

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Kafal Tree

Recent Posts

नेत्रदान करने वाली चम्पावत की पहली महिला हरिप्रिया गहतोड़ी और उनका प्रेरणादायी परिवार

लम्बी बीमारी के बाद हरिप्रिया गहतोड़ी का 75 वर्ष की आयु में निधन हो गया.…

1 week ago

भैलो रे भैलो काखड़ी को रैलू उज्यालू आलो अंधेरो भगलू

इगास पर्व पर उपरोक्त गढ़वाली लोकगीत गाते हुए, भैलों खेलते, गोल-घेरे में घूमते हुए स्त्री और …

1 week ago

ये मुर्दानी तस्वीर बदलनी चाहिए

तस्वीरें बोलती हैं... तस्वीरें कुछ छिपाती नहीं, वे जैसी होती हैं वैसी ही दिखती हैं.…

2 weeks ago

सर्दियों की दस्तक

उत्तराखंड, जिसे अक्सर "देवभूमि" के नाम से जाना जाता है, अपने पहाड़ी परिदृश्यों, घने जंगलों,…

2 weeks ago

शेरवुड कॉलेज नैनीताल

शेरवुड कॉलेज, भारत में अंग्रेजों द्वारा स्थापित किए गए पहले आवासीय विद्यालयों में से एक…

3 weeks ago

दीप पर्व में रंगोली

कभी गौर से देखना, दीप पर्व के ज्योत्सनालोक में सबसे सुंदर तस्वीर रंगोली बनाती हुई एक…

3 weeks ago