पिथौरागढ झूलाघाट रोड पर स्थित कासनी गांव के पास ही एक देवलसमेत बाबा का सेरादेवल मंदिर स्थित है. देवलसमेत बाबा सोरघाटी के लोकदेवता हैं. देवभागा और चन्द्रभागा नदियों के संगम पर बसे सेरादेवल को देवलसमेत बाबा का मूल स्थान माना जाता है.
(Seradeval Temple Pithoragarh Chaitol Festival)
चैतोल के दिन सेरादेवल में भव्य धार्मिक आयोजन होता है. सोरघाटी के 22 गावों में घुमने वाली छात सेरादेवल रिखांई (आठगांव शिलिंग) से आती है. सेरादेवल में देवडांगरों के बोलवचन होते हैं. सेरादेवल से छात जामड़ और कोस्टाका नामक मंदिरों में होकर छात बिंण गांव के नायकूड़ा की ओखलसारी में स्थापित होती है.
चैतोल लोकपर्व की विस्तृत जानकारी यहां पढ़िये: चैतोल पर्व : लोकदेवता देवलसमेत द्वारा सोरघाटी के बाईस गांवों की यात्रा का वर्णन
सेरादेवल मंदिर में चैतोल की तस्वीरें देखिये, सभी तस्वीर अखिलेश बोहरा ने भेजी हैं:
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