पिथौरागढ झूलाघाट रोड पर स्थित कासनी गांव के पास ही एक देवलसमेत बाबा का सेरादेवल मंदिर स्थित है. देवलसमेत बाबा सोरघाटी के लोकदेवता हैं. देवभागा और चन्द्रभागा नदियों के संगम पर बसे सेरादेवल को देवलसमेत बाबा का मूल स्थान माना जाता है.
(Seradeval Temple Pithoragarh Chaitol Festival)
चैतोल के दिन सेरादेवल में भव्य धार्मिक आयोजन होता है. सोरघाटी के 22 गावों में घुमने वाली छात सेरादेवल रिखांई (आठगांव शिलिंग) से आती है. सेरादेवल में देवडांगरों के बोलवचन होते हैं. सेरादेवल से छात जामड़ और कोस्टाका नामक मंदिरों में होकर छात बिंण गांव के नायकूड़ा की ओखलसारी में स्थापित होती है.
चैतोल लोकपर्व की विस्तृत जानकारी यहां पढ़िये: चैतोल पर्व : लोकदेवता देवलसमेत द्वारा सोरघाटी के बाईस गांवों की यात्रा का वर्णन
सेरादेवल मंदिर में चैतोल की तस्वीरें देखिये, सभी तस्वीर अखिलेश बोहरा ने भेजी हैं:
Support Kafal Tree
.
काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री
काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें
लम्बी बीमारी के बाद हरिप्रिया गहतोड़ी का 75 वर्ष की आयु में निधन हो गया.…
इगास पर्व पर उपरोक्त गढ़वाली लोकगीत गाते हुए, भैलों खेलते, गोल-घेरे में घूमते हुए स्त्री और …
तस्वीरें बोलती हैं... तस्वीरें कुछ छिपाती नहीं, वे जैसी होती हैं वैसी ही दिखती हैं.…
उत्तराखंड, जिसे अक्सर "देवभूमि" के नाम से जाना जाता है, अपने पहाड़ी परिदृश्यों, घने जंगलों,…
शेरवुड कॉलेज, भारत में अंग्रेजों द्वारा स्थापित किए गए पहले आवासीय विद्यालयों में से एक…
कभी गौर से देखना, दीप पर्व के ज्योत्सनालोक में सबसे सुंदर तस्वीर रंगोली बनाती हुई एक…