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नीति आयोग के एसडीजी इंडेक्स 2021 में उत्तराखण्ड तीसरे स्थान पर

नीति आयोग के एसडीजी इंडेक्स 2021 में उत्तराखण्ड ऊपर से तीसरे नम्बर पर है और उत्तर प्रदेश नीचे से चौथे नम्बर पर. रैंकिंग का ये फासला इसलिए और बड़ा हो जाता है कि प्रदेशों की कुल संख्या 28 है. प्रथमदृष्टया उत्तर प्रदेश से अलग राज्य प्राप्त करने पर गर्व होने लगता है. हो भी क्यों नहीं, किसी भी रैंकिंग में कौन चाहेगा कि उसका रैंक नीचे से बताया जाए.
(SDG index 2021 Uttarakhand)

ऊपर प्रथमदृष्टया शब्द का प्रयोग किया है तो वो इसलिए कि दूसरी दृष्टि में कुछ परतों को उघाड़ कर देखना जरूरी है. पहली परत एसडीजी के विस्तृत रूप को जानना है और ये है सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स. अगली परत सस्टेनेबल डेवलपमेंट को समझना है. आप सही समझ रहे हैं, ये हमने विकास किया है वाला विकास नहीं है. ये ऐसा विकास है जिसमें वर्तमान की आवश्यकताओं की पूर्ति करते हुए ये सुनिश्चित किया जाता है कि मानवजाति के भविष्य को भी कोई नुकसान न पहुँचे. और सिर्फ़ मानवजाति ही नहीं बल्कि उन 14 लाख जीव प्रजातियों (इनमें वाइरस शामिल नहीं) का भी अस्तित्व निरापद रहे.

संयुक्त राष्ट्र संघ ने धरती का अस्तित्व बचाने के लिए इसी सस्टेनेबल डेवलपमेंट की सुनिश्चितता के लिए, साल 2030 तक के लिए कुछ गोल्स अपनी कार्यसूची में रखे हैं. इन्हीं को एसडीजी (सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स) कहा जाता है. इन गोल्स के सापेक्ष प्रगति को एक इंडेक्स पर परखा जाता है. भारत में इन गोल्स के दृष्टिगत ये इंडेक्स नीति आयोग के द्वारा तैयार किया गया है और वही राज्यों की इस इंडेक्स पर रैंक्स का निर्धारण करता है. इन गोल्स की संख्या 17 है.
(SDG index 2021 Uttarakhand)

ये गोल्स सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय सरोकारों पर आधारित हैं.

1. गरीबी नहीं
2. भूखे पेट शून्य
3. स्वास्थ्य और स्वस्थचित्तता
4. गुणवत्तायुक्त शिक्षा
5. लैंगिक भेदभाव
6. साफ पानी और स्वच्छता
7. वहनयोग्य और साफ ऊर्जा
8. सही कार्य और आर्थिक विकास
9. उद्योग, नवाचार और आधारभूत संरचनाएँ
10. गैरबराबरी में लायी गयी कमी
11. सस्टेनेबल शहर और समुदाय
12. जवाबदेह उपभोग और उत्पादन
13. क्लाइमेट एक्शन
14. जलीय जीवन
15. ज़मीन पर जीवन
16. शांति, न्याय और सशक्त संस्थाएँ
17. लक्ष्य के लिए साझेदारी

इन गोल्स को देख कर समझा जा सकता है किन गोल्स में हमने तरक्की की है और किन गोल्स में हमें प्राकृतिक बढ़त मिली हुई है. अपनी प्राकृतिक बढ़त को कायम रखना और शेष में सुधार करना असली तस्वीर है. 2019 के सापेक्ष 2021 में उत्तराखण्ड ने 8 रैंक्स ऊपर तरक्की की है. निश्चित ही इसमें प्राकृतिक बढ़त के साथ राज्य की योजनाओं और उनके क्रियान्वयन का अच्छा स्तर होना भी है. अच्छे को बेहतर करने की गुंजाइश अभी बनी हुई है.
(SDG index 2021 Uttarakhand)

संयुक्त राष्ट्र का लक्ष्य बड़ा होता है, दूर तक सोचता है और पूरी धरती के हित के लिए सोचता है. एक विचार आता है कि राज्य स्तर पर एक इंडेक्स ऐसा भी हो जिसमें जिलों के लिए गोल कुछ ऐसे हों – स्वास्थ्य सुविधाएं, स्कूली शिक्षा, उच्च व व्यवसायिक शिक्षा, पलायन, पेयजल, हरित क्षेत्रफल, वन्यजीव-मानव संघर्ष, उद्योग, पारम्परिक शिल्प संवर्द्धन, लघु जलविद्युत् व वैकल्पिक ऊर्जा, आपदा प्रबंधन, इको फ्रेंडली टूरिज़्म, लैंगिक/सामाजिक समता, बाल अधिकार संरक्षण और महिला सुरक्षा.

सभी को विश्व पर्यावरण दिवस की शुभकामनाएँ. ये दिवस शुभकामनाओं के आदान-प्रदान का नहीं है और न ही भारत में वृक्ष/पौधे रोपित करने के लिए अनुकूल. ये दिवस धरती की सेहत पर चिंतन करने का है और अपने परिवेश को बेहतर जीवनयोग्य करने का भी.
(SDG index 2021 Uttarakhand)

देवेश जोशी

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1 अगस्त 1967 को जन्मे देवेश जोशी फिलहाल राजकीय इण्टरमीडिएट काॅलेज में प्रवक्ता हैं. उनकी प्रकाशित पुस्तकें है: जिंदा रहेंगी यात्राएँ (संपादन, पहाड़ नैनीताल से प्रकाशित), उत्तरांचल स्वप्निल पर्वत प्रदेश (संपादन, गोपेश्वर से प्रकाशित) और घुघती ना बास (लेख संग्रह विनसर देहरादून से प्रकाशित). उनके दो कविता संग्रह – घाम-बरखा-छैल, गाणि गिणी गीणि धरीं भी छपे हैं. वे एक दर्जन से अधिक विभागीय पत्रिकाओं में लेखन-सम्पादन और आकाशवाणी नजीबाबाद से गीत-कविता का प्रसारण कर चुके हैं. 

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