दुगड्डा, पौड़ी गढ़वाल में रहने वाले जागेश्वर जोशी मूलतः बाडेछीना अल्मोड़ा के हैं. वर्त्तमान में माध्यमिक शिक्षा में अध्यापन कार्य कर रहे हैं. शौकिया व्यंगचित्रकार हैं जनसत्ता, विश्वामानव,अमर उजाला व अन्य समसामयिक में उनके व्यंग्य चित्र प्रकाशित होते रहते हैं. उनकी कथा और नाटक आकाशवाणी से भी प्रसारित हो चुके हैं. तीन भागों में प्रकाशित इस सीरिज का यह दूसरा भाग है. इस सीरिज में हम उनके उत्तराखंड के समाज, स्वास्थ्य, राजनीति आदि संबंधी व्यंग्य चित्र प्रकाशित कर रहे हैं. काफल ट्री तक सभी व्यंग्य चित्र सुनील पंत द्वारा पहुंचाए गये हैं. पिछली कड़ी जीवन रचते व्यंग्य चित्र – 2
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घनी हरियाली थी, जहां उसके बचपन का गाँव था. साल, शीशम, आम, कटहल और महुए…
-रामचन्द्र नौटियाल अंग्रेजों के रंवाईं परगने को अपने अधीन रखने की साजिश के चलते राजा…
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हिमालय पहाड़ पर अल्मोड़ा नाम की एक बस्ती है. उसमें एक बड़े मियाँ रहते थे.…