प्रिय अभिषेक

घर में अमनचैन के लिए संस्कारी दंपत्तिओं को शांतिपाठ का यह अनुष्ठान नित्य करना चाहिए

घर की सुख-शांति के लिये दंपत्ति प्रतिदिन विशेष शांतिपाठ करें. यह शांतिपाठ, सामान्य शांतिपाठ से भिन्न है.

इस शांतिपाठ के लिये सबसे पहले हेतु (कारण) की खोज करें. यह हेतु कुछ भी हो सकता है. यह केवल शांति पाठ प्रारम्भ करने के लिये आवश्यक है. इसके बाद इसका महत्व नहीं है. हेतु प्राप्त होते ही पाठ आरम्भ करें.

सबसे पहले पत्नी बोले – यह जूठा कप यहाँ किसने रखा है. (यहाँ जूठा कप हेतु है)

अब पति बोले – किसने रखा है.

अब पत्नी बोले – तुमने रखा होगा.

अब पति बोले – तुमने रखा होगा.

अब पत्नी बोले – तुम्हारा ही काम होगा.

अब पति मिथ्यावाचन करे- मैंने नहीं रखा.

अब पत्नी बोले- तुमसे एक काम नहीं होता.

अब पति बोले- तो तुम कौन सा काम करती हो.

अब पत्नी बोले- तुम क्या करते हो.

अब पति बोले- तुम क्या करती हो.

अब पत्नी बोले- नहीं तुम बताओ.

अब पति दुहराए- नहीं तुम बताओ.

अब पत्नी बोले- नहीं! नहीं! तुम बताओ.

अब पति बोले- नहीं! नहीं तुम बताओ.

अब पत्नी बोले- एक सींक भी हिलाते हो.

अब पति बोले- जैसे झाड़ू, कामवाली नहीं, तुम लगाती हो.

अब पत्नी बोले- अपनी बताओ.

अब पति बोले- तुम अपनी बताओ.

अब पत्नी बोले- मैं क्या बताऊँ.

अब पति बोले- मैं क्या बताऊँ.

अब पत्नी बोले- घर के सारे काम मैं करती हूँ.

अब पति मिथ्यावाचन करे- घर के सारे काम मैं करता हूँ.

अब पत्नी मिथ्यावाचन करे- सारी जिम्मेदारियां उठाती हूँ घर की.

अब पति ताली बजाते हुए बोले- मैं तो नाकारा हूँ.

अब पत्नी बोले- नहीं, मैं नाकारा हूँ.

अब पति बोले- नहीं, नहीं, मैं नाकारा हूँ.

अब पत्नी सहमति दे- हाँ तो तुम हो ही नाकारा.

अब पति सहमति दे- हाँ तो तुम हो नाकारा.

अब पत्नी रोते हुए कहे- सब मेरी गलती है.

अब पति दीवार में सर फोड़ के कहे- सब मेरी गलती है.

अब पत्नी कहे- नहीं, सब मेरी ग़लती है.

अब पति कहे- नहीं, नहीं सब मेरी गलती है.

अब कुछ देर शांत रहें. फिर अपने-अपने काम में लग जाएं, जैसे कुछ घटित न हुआ हो.

शांति पाठ के लिये जूठा कप, गीली तौलिया, गीली चड्डी, बिजली बिल, बच्चों की लेट फीस जैसे किसी भी हेतु का चुनाव किया जा सकता है. हेतु की आवश्यकता प्रारम्भ के कुछ वर्षों में ही पड़ती है. पुराने दंपत्ति बिना किसी हेतु के, श्रद्धापूर्वक, नियमित शांतिपाठ करते हैं. यदि ज़ोर से, तेज आवाज़ में यह पाठ किया जाय तो न केवल घर, वरन पूरी बिल्डिंग और मोहल्ला भी शांत रहता है.

ध्यान रखें कि इस पाठ के दौरान न तो कभी सहमत होना है, और न ही गलती स्वीकार करनी है. सत्य बोलना भी प्रतिबंधित है.

पाठ से पूर्व निम्न मंत्र से विनियोग कर लेवें-

ओम अस्य दाम्पत्य शांतिपाठस्य प्रियोस्की ऋषि दुष्टुपछंदः पत्नीहृदयभूतो

भगवानभैरवदेवता निरस्ताशेषविघ्नत्य विवाहविद्यासद्धौ गृहजयसिद्धौ च विनियोगः

वाट्सएप में पोस्ट पाने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री
हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें: Kafal Tree Online

प्रिय अभिषेक

मूलतः ग्वालियर से वास्ता रखने वाले प्रिय अभिषेक सोशल मीडिया पर अपने चुटीले लेखों और सुन्दर भाषा के लिए जाने जाते हैं. वर्तमान में भोपाल में कार्यरत हैं.

इन्हें भी पढ़िए :

व्यंग्य का जन्म किस प्रकार होता है?

सरकारी विभागों में पावती, सिर्फ पावती नहीं है

सुंदर स्त्री जब शेर सुनाती है तो शेर आयत बन जाते हैं

सड़क को सड़क नहीं, अपना घर समझो

भाई साहब! मैं बाल कवि नहीं हूँ!

तूतू – मैंमैं

ईश्वर क्या है? ईश्वर कौन है?

खाँटी साहित्यकारों की साहित्यिक बातें

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Girish Lohani

Recent Posts

शेरवुड कॉलेज नैनीताल

शेरवुड कॉलेज, भारत में अंग्रेजों द्वारा स्थापित किए गए पहले आवासीय विद्यालयों में से एक…

5 days ago

दीप पर्व में रंगोली

कभी गौर से देखना, दीप पर्व के ज्योत्सनालोक में सबसे सुंदर तस्वीर रंगोली बनाती हुई एक…

6 days ago

इस बार दो दिन मनाएं दीपावली

शायद यह पहला अवसर होगा जब दीपावली दो दिन मनाई जाएगी. मंगलवार 29 अक्टूबर को…

7 days ago

गुम : रजनीश की कविता

तकलीफ़ तो बहुत हुए थी... तेरे आख़िरी अलविदा के बाद। तकलीफ़ तो बहुत हुए थी,…

1 week ago

मैं जहां-जहां चलूंगा तेरा साया साथ होगा

चाणक्य! डीएसबी राजकीय स्नात्तकोत्तर महाविद्यालय नैनीताल. तल्ली ताल से फांसी गधेरे की चढ़ाई चढ़, चार…

2 weeks ago

विसर्जन : रजनीश की कविता

देह तोड़ी है एक रिश्ते ने…   आख़िरी बूँद पानी का भी न दे पाया. आख़िरी…

2 weeks ago