यात्रा पर्यटन

रानी पद्मिनी को प्रिय था रानीखेत

उत्तराखण्ड के कुमाऊँ मंडल का पहाड़ी क़स्बा रानीखेत उत्तर भारत के शानदार पर्यटन स्थलों में गिना जाता है. देवदार, बांज और बलूत के जंगल से लिपटे रानीखेत से हिमालय की बर्फीली चोटियों का नयनाभिराम दृश्य देखने को मिलता है. यहां से त्रिशूल, पंचाचूली, नन्दादेवी, नन्दाकोट, हाथीपर्वत, नीलकंठ आदि चोटियों का विहंगम नजारा दीखता है. (Ranikhet popular tourist destination of Uttarakhand)

कत्यूरी रानी को प्रिय था रानीखेत

प्राकृतिक रूप से बेहद खूबसूरत यह जगह कत्यूरी राजा सुधांगदेव की प्रिय रानी पद्मिनी को बहुत ज्यादा पसंद थी. उन दिनों यह कस्बा नहीं बल्कि गांव हुआ करता था. थे तो बस हरे-भरे खेत और हिमालय का अलौकिक नजारा. रानी अपनी गर्मियां इन्हीं खेतों में बिताया करती थी. रानी के इन खेतों में शिविर लगाने की वजह से ही इसे रानीखेत कहा गया. यह भी कहा जाता है कि इसी जगह पर राजा ने रानी का दिल जीत लिया था.

अंग्रेजों को भी पसंद थी यह जगह

कत्यूरी रानी ही नहीं अंग्रेज भी रानीखेत की आबोहवा और प्राकृतिक सौन्दर्य के मुरीद हुआ करते थे. 1815 में कुमाऊँ पर गोरखाओं का आधिपत्य ख़त्म हुआ और यह अंग्रेजों के कब्जे में आ गया. 1830 से 1856 के बीच कई अंग्रेजों ने चाय बागान बनाने की गरज से जमीन खरीदी और अधिग्रहित की. इन्हीं में से एक ट्रुप परिवार भी था. ट्रुप परिवार ने चौबटिया से धोबीघाट तक की जमीन स्थानीय ग्रामीणों से खरीदकर उस पर चाय बागान स्थापित किया. 1868 में अंग्रेज सैनिकों के लिए कॉलोनी बनाने के लिए रानीखेत को चुना गया. अगले ही साल बारामंडल परगने के 2 गांवो, बलना और कोटली तथा फल्दाकोट परगने के ताने गांव को कैंटोनमेंट का दर्जा देकर यहां ब्रिटिश छावनी बना दी गयी. तभी से इस क्षेत्र को छावनी के नियम-कानूनों के तहत संचालित किया जाने लगा. आज भी रानीखेत का प्रशासनिक काम छावनी परिषद संभालती है. अंग्रेजों को यह जगह इतनी पसंद थी कि उन्होंने इसे शिमला की जगह ब्रिटिश भारत का ग्रीष्मकालीन मुख्यालय बनाना तक प्रस्तावित किया था. तत्कालीन वायसराय लार्ड मेयो भी रानीखेत के मोहपाश में जकड़े हुए थे.

रानीखेत का गोल्फ ग्राउंड

रानीखेत में सर्दियों में बर्फ गिरती है और गर्मियों में वादियों में गुलाबी ठंडक. कभी रानीखेत के सेब देश-दुनिया में मशहूर हुआ करते थे. यहीं पर एशिया का सबसे बड़ा सेब का बगीचा है जिसे चौबटिया नाम से जाना जाता है. चौबटिया में पैदा सेब की कई नस्लों ने दुनिया में बहुत नाम भी कमाया.  

इन सब खूबियों के अलावा रानीखेत को बेहतरीन शिक्षा केंद्र के रूप में भी जाना जाता है. यहां के नामचीन विद्यालयों में देश के कई कोनों से छात्र अच्छी तालीम पाने आया करते हैं.

प्रमुख आकर्षण

रानीखेत और इसके आसपास कई विश्वविख्यात पर्यटन स्थल हैं— गोल्फ कोर्स, कुमाऊँ रेजिमेंट का मुख्यालय, सैंट ब्रिजेट चर्च, चौबटिया, भालू बाँध, ताड़ीखेत, रानी झील, बिनसर महादेव, कटारमल सूर्य मंदिर, भालू डैम, मजखाली, दूनागिरी, शीतलाखेत, द्वाराहाट आदि .

कत्यूर: उत्तराखण्ड का सबसे वैभवशाली साम्राज्य

काफल ट्री के फेसबुक पेज को लाइक करें : Kafal Tree Online

संदर्भ : उत्तराखण्ड ज्ञानकोष (प्रो. डीडी. शर्मा, विकिपीडिया)

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Sudhir Kumar

Recent Posts

शेरवुड कॉलेज नैनीताल

शेरवुड कॉलेज, भारत में अंग्रेजों द्वारा स्थापित किए गए पहले आवासीय विद्यालयों में से एक…

5 days ago

दीप पर्व में रंगोली

कभी गौर से देखना, दीप पर्व के ज्योत्सनालोक में सबसे सुंदर तस्वीर रंगोली बनाती हुई एक…

6 days ago

इस बार दो दिन मनाएं दीपावली

शायद यह पहला अवसर होगा जब दीपावली दो दिन मनाई जाएगी. मंगलवार 29 अक्टूबर को…

7 days ago

गुम : रजनीश की कविता

तकलीफ़ तो बहुत हुए थी... तेरे आख़िरी अलविदा के बाद। तकलीफ़ तो बहुत हुए थी,…

1 week ago

मैं जहां-जहां चलूंगा तेरा साया साथ होगा

चाणक्य! डीएसबी राजकीय स्नात्तकोत्तर महाविद्यालय नैनीताल. तल्ली ताल से फांसी गधेरे की चढ़ाई चढ़, चार…

2 weeks ago

विसर्जन : रजनीश की कविता

देह तोड़ी है एक रिश्ते ने…   आख़िरी बूँद पानी का भी न दे पाया. आख़िरी…

2 weeks ago