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कोरोना से लड़ने के लिए प्राणायाम है आपका ब्रह्मास्त्र

कोरोना वायरस हमारे फेफड़ों पर हमला करता है, इसलिए यह तो तय है कि उससे लड़ने के लिए हमें अपने फेफड़ों को ही सबसे ज्यादा ताकतवर बनाना होगा. फेफड़ों को ताकतवर बनाने के लिए हमें अपनी सांस पर काम करना होगा, उसे  शक्तिशाली बनाना होगा. इतना शक्तिशाली कि एक बार गहरी सांस खींच ली, तो दो-तीन मिनट तक दोबारा सांस लेने की जरूरत ही नहीं पड़े. लेकिन ज्यादातर लोग बहुत ही उथली सांस लेते हैं. इतनी उथली कि वे सांस लेने के बाद बमुश्किल 15 सेकंड के लिए ही सांस रोक पाते हैं. जिस तरह से पिछले लगभग डेढ़ साल से कोरोना लगातार पूरी दुनिया में आतंक फैला रहा है और हर बार लॉकडाउन खुलते ही वह पहले से ज्यादा घातक बनकर नई लहर पर सवार होकर आ रहा है, यह तय है कि वह इतनी जल्दी जाने वाला नहीं है.
(Mind Fit 38 Column)

एक स्टडी के मुताबिक अमेरिका, ब्रिटेन जैसे देशों में जहां 2021 के अंत तक लगभग 70 प्रतिशत जनसंख्या को वैक्सीन लगाकर महामारी को नियंत्रित कर लिया जाएगा, भारत में इतनी जनसंख्या को वैक्सीन लगाने का काम 2022 तक ही पूरा हो पाएगा यानी तब तक कोरोना का आतंक बना रहेगा. इसीलिए बेहतर यह है कि हम खुद ही कोरोना से लड़ने के उपाय करें. कोरोना से लड़ने के लिए हमें अपने फेफड़ों की ताकत बढ़ानी होगी और यह काम हमारे लिए प्राणायाम से बेहतर कुछ और नहीं कर सकता.

प्राणायाम एक तरह से सांस का व्यायाम ही है – ब्रीदिंग एक्सरसाइज. अगर आप रोज अपनी सांस लेने की और सांस को रोकने की सामर्थ्य में थोड़ा-थोड़ा सुधार लाएंगे, तो कुछ ही महीनों में आप अपने फेफड़ों को इतना ताकतवर बना सकते हैं कि आपमें कोरोना को मात देने का दम आ जाएगा. रोज सुबह उठकर फ्रेश होने के बाद आप अगर 5-10 मिनट भी प्राणायाम का अभ्यास करें, तो इतने भर से आप अपने फेफड़ों की सामर्थ्य बढ़ा सकते हैं. फेफड़ों की ताकत बढ़ाने के लिए एक बहुत ही सामान्य ब्रीदिंग एक्सरसाइज यह है कि आप सुखासन में बैठ जाएं. जो सुखासन में नहीं बैठ सकते, वे कुर्सी पर सीधा बैठ जाएं. आप लेटकर भी इस एक्सरसाइज को कर सकते हैं. आपको सुनिश्चित करना है कि आपकी रीढ़ एकदम सीधी रहे.

अब आप नाक से गहरी सांस लेते हुए उसे पहले पेट में भरें और फिर छाती में. आपको पूरी ताकत से लंबी और गहरी सांस खींचनी है. याद रहे सांस पहले पेट में जानी चाहिए यानी आपका पेट थोड़ा फूलेगा और फिर सांस को आप छाती में भरेंगे. आपको सांस लेनी तो नाक से है, पर उसे छोड़ने का काम मुंह से करेंगे. मुंह से इसलिए कि आप जल्दी पूरी सांस निकालकर अगली सांस भर सकें. ऐसा आप दस बार करें. दसवीं बार आप लंबी सांस भरने के बाद सांस रोक लेंगे. आप घड़ी में देखें कि आप कितनी देर तक सांस को रोक पाते हैं और टाइम नोट कर लें. अब आप दूसरी बार भी दस बार लंबी गहरी सांस लेते हुए उसे पेट और छाती में भरें. दसवीं बार लंबी सांस भरकर रोक लें और टाइम देखें कि कितनी देर तक आप सांस रोक पाते हैं.
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आप पाएंगे कि दूसरी बार पहली बार की तुलना में ज्यादा देर तक सांस रोक पाते हैं. तीसरी बार आप दूसरी बार से भी ज्यादा देर तक सांस रोक पाएंगे. इस एक्सरसाइज को रोज करेंगे, तो आपकी सांस लेने और सांस को रोकने की सामर्थ्य धीरे-धीरे बढ़ती जाएगी. मैंने जब इस एक्सरसाइज को करना शुरू किया था, तो मैं एक मिनट तक ही सांस को रोक पाता था. कुछ महीने के अभ्यास के बाद मैं ढाई मिनट तक सांस रोकने लगा. कोरोना से ग्रसित होकर ठीक होने के बाद जब मैंने यह एक्सरसाइज दोबारा शुरू की, तो मैंने पाया कि मैं फिर से सिर्फ एक ही मिनट तक सांस रोक पा रहा हूं. बीस दिन के नियमित अभ्यास के बाद अब मैं दो मिनट तक सांस रोकने लगा हूं. मुझे यकीन है कि धीरे-धीरे मैं कोरोना होने से पहले वाली सामर्थ्य पा लूंगा और ढाई मिनट तक सांस रोक पाऊंगा.

फेफड़ों की ताकत बढ़ाने के लिए आप चाहें तो स्पिरोमीटर जैसा उपकरण भी खरीद सकते हैं. इसमें आपको फूंक मारनी होती है. रोज फूंक मारने का अभ्यास करके भी आप अपने फेफड़ों की ताकत बढ़ा सकते हैं. फेफड़ों को ताकतवर बनाने के लिए प्राणायामों में लोम-अनुलोम और भ्रस्तिका प्राणायाम बहुत कारगर हैं.

प्राणायाम के अलावा अगर आप सूर्य नमस्कार के बारह आसन करने का अभ्यास करें और नियमित पैदल चलें, हेल्दी भोजन करें, तो आप बहुत जल्दी ही अपने भीतर उस आत्मविश्वास को महसूस करने लगेंगे, जो कोरोना के खिलाफ आपकी जंग में आपको ज्यादा ताकतवर बनाएगा.
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-सुंदर चंद ठाकुर

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कवि, पत्रकार, सम्पादक और उपन्यासकार सुन्दर चन्द ठाकुर सम्प्रति नवभारत टाइम्स के मुम्बई संस्करण के सम्पादक हैं. उनका एक उपन्यास और दो कविता संग्रह प्रकाशित हैं. मीडिया में जुड़ने से पहले सुन्दर भारतीय सेना में अफसर थे. सुन्दर ने कोई साल भर तक काफल ट्री के लिए अपने बचपन के एक्सक्लूसिव संस्मरण लिखे थे जिन्हें पाठकों की बहुत सराहना मिली थी.

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