हमारे नेता, सांसद या विधायक कब वैज्ञानिक बन अवैज्ञानिक तर्क या बयान दे दें कहा नहीं जा सकता. गाय के ऑक्सीजन लेने और छोड़ने से लेकर गंगलोड़ू का घिसा पानी पीने से नॉरमल डिलीवरी होने तक विज्ञान की उल्टी धारा बहाने में हमारे नेताओं का अभूतपूर्व योगदान रहा है. प्रज्ञा ठाकुर के गाय पर दिए बयान को उत्तराखंड के माननीय मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत जी ने खुद जांच किए जाने का हवाला देकर पुख़्ता कर दिया. हालाँकि उस जांच की रिपोर्ट सिर्फ त्रिवेन्द्र जी को ही पढ़ने को मिली. बाक़ी जनता तक इस वैज्ञानिक ज्ञान को रावत जी ने अपने श्रीमुख से ही पहुँचाया. इस तरह के कई अवैज्ञानिक बयानों की शुरुआत तो बहुत पहले हो गयी थी लेकिन इसको एक नई ऊँचाई तक पहुँचाया त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लव देव ने. एक साल पहले उनका महाभारत काल में इंटरनेट का होना सोशल मीडिया में ख़ूब छाया रहा. सोचिये यदि महाभारत के युद्ध के समय असल में इंटरनेट जैसी कोई चीज़ रही होती जिसका इस्तेमाल कर संजय धृतराष्ट्र को महाभारत का सजीव वर्णन कर रहे होते तो वह दृश्य कैसा होता? शायद कुछ ऐसा होता:
इंटरनेट काम नहीं कर रहा. ये कह कर संजय ने अपनी ऑंखें बंद कर ली. इंटरनेट के अस्थाई रूप से बंद हो जाने की वजह से महाभारत का युद्ध कुछ घंटों के लिए रोक दिया गया. इंटरनेट के बंद हो जाने के कारण का पता लगाया तो पता चला कि ‘ए राजा’ के ‘2G’ घोटाले की वजह से इंटरनेट सेवा बाधित हुई है.
इस बाधा का फ़ायदा उठाकर अर्जुन ने अपने ‘4G’ बाणों की मदद से बफरिंग कर रही कौरव सेना में हाहाकार मचा दिया. उधर धृतराष्ट्र इंटरनेट के बाधित होने पर अधीर हुए जा रहे हैं और संजय से कहते हैं- हे संजय! यदि जियो का इंटरनेट काम नहीं कर रहा तो एक बार अपने नयन रूपी एप्पल मोबाइल में आइडिया का सिम डाल कर देखो शायद इंटरनेट चल जाए. मुझे कौरवों की फ़िक्र हो रही है. संजय क्षमा माँगते हुए कहते हैं- हे राजन मैं क्षमाप्रार्थी हूँ. जब से जियो की प्राइम मेंम्बरशिप ली है तब से मेरे नयन किसी अन्य नेटवर्क को सपोर्ट ही नहीं कर रहे.
अधीरता में छटपटाते धृतराष्ट्र बाधित इंटरनेट और सर्विस दाता को कोसने लगते हैं. अचानक आसमान में तेज़ बिजली कड़कती है और संजय की 4G दृष्टि पुन: कुरुक्षेत्र की रणभूमि में गड़ जाती है. संजय न सिर्फ़ धृतराष्ट्र को लाइव युद्ध के बारे में बताते हैं बल्कि आस-पड़ोस के राजाओं के युद्ध के बारे में किये गए कॉमेंन्ट भी पढ़कर सुनाते हैं. पांडवों के पक्ष में एक कॉमेंट को सुनकर धृतराष्ट्र आगबबूला हो जाते हैं और उस कॉमेंटकर्ता राजा को संजय के नयनों से ब्लॉक करवा देते हैं.
सायंकाल शंखनाद की ध्वनि के साथ युद्ध विराम होता है और धृतराष्ट्र के आग्रह पर संजय दुर्योधन को वीडियो कॉल करते हैं. पिता को दुखी देख दुर्योधन उन्हें एक स्माइली भेजता है और युद्ध जीत कर आने का भरोसा दिलाता है.
अब तक संजय इंटरनेट के भरसक इस्तेमाल के कारण अपने नयनों की बैटरी गवाँ चुके हैं अत: धृतराष्ट्र से आज्ञा लेकर वो स्वयं के नयनों को आराम व रिचार्ज करने अपने कक्ष में चले जाते हैं. प्रात: काल ब्रह्म मुहूर्त में शंखनाद के साथ युद्ध प्रारम्भ होता है. सब लोगों के गहन निद्रा और इंटरनेट के कम इस्तेमाल के कारण संजय के नयनरूपी इंटरनेट तीव्र गति से काम कर रहे हैं. भीम की गदा कौरव सेना पर 150 एमबीपीएस के वेग से वार करती है और एक साथ सैकड़ों सैनिकों को काल के गाल में समाहित कर देती है. भीष्म पितामह के पराक्रम से पस्त पांडवों में चिंता घर कर जाती है. तभी सॉफ्टवेर इंजीनियर श्रीकृष्ण, पितामह को धराशायी करने के लिए शिखंडी रूपी वायरस का सुझाव देते हैं जिसका एंटी वायरस पितामह के पास भी नहीं है. शिखंडी वायरस की मदद से अर्जुन, पितामह को सरशैय्या पर लेटा देते हैं.
गुरु द्रोण को पराजित कर पाना पांडवों के लिए असंभव था. तभी सुधीर चौधरी रूपी किसी शातिर दिमाग़ ने फेक न्यूज़ का आइडिया दिया. इंटरनेट के उस युग में असल न्यूज़ और फेक न्यूज़ में फ़र्क़ कर पाना बड़ा कठिन था. फेक न्यूज़ फैलाई गई की अश्वत्थामा मारा गया और इससे आहत गुरु द्रोण ने हथियार छोड़ दिये और मौक़े का फ़ायदा उठा अर्जुन ने गुरु द्रोण का वध कर दिया.
एक-एक कर कौरव सेना के सारे सेनापति कालगति को प्राप्त होने लगे. कर्ण को परास्त करना अर्जुन की धनुर्विद्या की सबसे बड़ी परीक्षा थी. कर्ण के पास अर्जुन के हर 3D बाण का 4D जवाब था. कृष्ण जानते थे कि कर्ण के बाणों को करप्ट करना अर्जुन के बस की बात नहीं है. जैसे ही कर्ण के रथ का पहिया ज़मीन में धँसा तो उसने अपने मैकेनिक को व्हाट्सऐप किया किन्तु ब्लू टिक होने के बावजूद जब मैकेनिक नहीं आया तो कर्ण स्वयं रथ से उतर पहिया निकालने की कोशिश करने लगा. उसी समय कृष्ण की कंट्रोल ऑल्ट डिलीट कमांड पाकर अर्जुन ने कर्ण की जीवन रेखा को हमेशा के लिए लॉक कर.
अंत में दुर्योधन के वध के साथ ही महाभारत के युद्ध का अंत हो गया. धृतराष्ट्र ने अपना आपा खो दिया और संजय के नयनरूपी इंटरनेट को ऑफ़ कर दिया ताकि संजय आगे कुछ बयां न कर पाए. इस प्रकार इंटरनेट ने महाभारत के युद्ध में अपना अहम योगदान दिया.
(नोट- कृपया उपरोक्त व्यंग्य को अपनी धार्मिक भावनाओं से जोड़कर न पढ़े)
यार!
नानकमत्ता (ऊधम सिंह नगर) के रहने वाले कमलेश जोशी ने दिल्ली विश्वविद्यालय से राजनीति शास्त्र में स्नातक व भारतीय पर्यटन एवं यात्रा प्रबन्ध संस्थान (IITTM), ग्वालियर से MBA किया है. वर्तमान में हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के पर्यटन विभाग में शोध छात्र हैं.
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