देश और दुनिया के लोगों के दिमाग में माल्टा शब्द सुनकर यूरोपीय देश का ध्यान आता है. पर एक असल पहाड़ी ‘माल्टा’ सुनकर महसूस करता है गुनगुनी धूप और एक रसीला फल. नारंगी रंग का रसदार माल्टा जिसका नाम सुनते ही पहाड़ियों के मुंह के भीतर अलग-अलग कोनों से पानी निकलने लगता है. खट्टा-मीठा माल्टा और नवम्बर की गुलाबी धूप एक पहाड़ी को और क्या चाहिये.
(Himalayan Orange Malta Uttarakhand)
कोई पहाड़ों में जन्मा हो और माल्टा न खाया हो ऐसा भी कहीं हो सकता है. पहाड़ में रहने वाले हर शख्स ने माल्टा खाया होगा. हिमालय में जन्मा यह फल आज दुनिया भर में लोकप्रिय है. एक रिपोर्ट के मुताबिक़ इस बात पर अब कोई शक-ओ-शुबह नहीं है कि नींबू की सभी प्रजातियों का मूल हिमालय ही है. हिमालय के रहवासियों को प्रकृति का रसदार उपहार है माल्टा.
माल्टे का वैज्ञानिक नाम सिट्रस सिनानसिस है. इसमें विटामिन सी. 53.2 मि.ग्रा., कार्बोहाइडेट 11.75 ग्राम, वसा 0.12 ग्राम, ऊर्जा 47.05 किलो कैलोरी, प्रोटीन 0.94 ग्राम, फाइबर 0.12 ग्राम, आयरन.0.1 मिलीग्राम, फास्फोरस 14 मिलीग्राम, मैग्नीशियम 10 मिलीग्राम, पोटेशियम 181 मिलीग्राम प्रति 100 ग्राम तक पाये जाते है.
(Himalayan Orange Malta Uttarakhand)
दैनिक जागरण में स्कन्द शुक्ल की एक रिपोर्ट के अनुसार-
माल्टा नींबू प्रजाति का खुशबूदार एंटी ऑक्सीडेंट और शक्तिवर्धक फल है. इसका रस ही नहीं बल्की छिलका भी कारगर है. माल्टा के सेवन से जहां त्वचा चममदार रहती है वहीं दिल भी दुरुस्त रहता है. बाल मजबूत होते हैं. माल्टा के सेवन से गुर्दे की पथरी दूर होती है, चिकित्सक पथरी के रोगियों को माल्टा का जूस पीने के सलाह देते हैं.
भूख बढ़ाने, कफ कम करने, खांसी, जुकाम में यह कारगर होता है. माल्टा के छिलके से स्तर कैंसर के घाव ठीक होते हैं. छिलके से तैयार पावडर का प्रयोग करने से त्वचा में निखार आता है. छिलके से तैयार तेल बहुत फायदेमंद है. माल्टा उच्च कोलस्ट्रोल, उच्च रक्तचाप, प्रोस्टेड कैंसर में असरदार होता है. दिल का दौरे में भी फायदेमंद होता है.
(Himalayan Orange Malta Uttarakhand)
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