समाज

पहाड़ के गांधी इन्द्रमणि बडोनी : जन्मदिन विशेष

1994 का वर्ष था, तारीख थी 2 अगस्त. लम्बी दाढ़ी वाला एक दुबला पतला एक बूढा पौढ़ी प्रेक्षागृह के सामने अनशन पर बैठा था. उसकी मांग थी पृथक उत्तराखंड की. 7 अगस्त के दिन उसे जबरदस्ती उठाकर मेरठ के एक अस्पताल में भर्ती करा दिया गया और बाद में दिल्ली के एम्स में भर्ती किया गया. 69 बरस के इस बूढ़े व्यक्ति ने 30 दिनों तक अनशन किया और तीसवें दिन जनता के दबाव के कारण अपना अनशन वापस ले लिया. Uttarakhand’s Gandhi Indramani Badoni

बीबीसी ने उत्तराखंड आन्दोलन पर अपनी एक रिपोर्ट छापी जिसमें उसने लिखा

अगर आपने जीवित और चलते-फिरते गांधी को देखना है तो आप उत्तराखंड चले जायें. वहां गांधी आज भी विराट जनांदोलनों का नेतृत्व कर रहा है.

इस व्यक्ति का नाम था इन्द्रमणि बडोनी. उत्तराखंड राज्य की मांग करने वाले लोगों में सबसे प्रमुख और बड़ा नाम है इन्द्रमणि बडोनी. आज उनकी पुण्यतिथि है.

आजादी के बाद गांधीजी की शिष्या मीरा बेन 1953 में टिहरी की यात्रा पर गयी. जब वह अखोड़ी गाँव पहुंची तो उन्होंने गाँव के विकास के लिये गांव के किसी शिक्षित व्यक्ति से बात करनी चाही. अखोड़ी गांव में बडोनी ही एकमात्र शिक्षित व्यक्ति थे. मीरा बेन की प्रेरणा से ही बडोनी सामाजिक कार्यों में जुट गए.

24 दिसम्बर 1924 को टिहरी के ओखड़ी गांव में जन्मे बडोनी मूलतः एक संस्कृति कर्मी थे. 1956 की गणतंत्र दिवस परेड को कौन भूल सकता है. 1956 में राजपथ पर गणतंत्र दिवस के मौके पर इन्द्रमणि बडोनी ने हिंदाव के लोक कलाकार शिवजनी ढुंग, गिराज ढुंग के नेतृत्व में केदार नृत्य का ऐसा समा बंधा की तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु भी उनके साथ थिरक उठे थे.

सुरेशानंद बडोनी के पुत्र इन्द्रमणि बडोनी की प्रारंभिक शिक्षा गांव में ही हुई. माध्यमिक और उच्च शिक्षा के लिए वह नैनीताल और देहरादून रहे. इसके बाद नौकरी के लिए बंबई गये जहाँ से वह स्वास्थ्य कारणों से वापस अपने गांव लौट आये. उनका विवाह 19 साल की उम्र में सुरजी देवी से हुआ था. Uttarakhand’s Gandhi Indramani Badoni

1961 में वो गाँव के प्रधान बने. इसके बाद जखोली विकास खंड के प्रमुख बने. बाद में उन्होंने उत्तर प्रदेश विधान सभा में तीन बार देव प्रयाग विधानसाभ सीट से जीतकर प्रतिनिधित्व किया. 1977 का चुनाव उन्होंने निर्दलीय लड़ा और जीता भी. 1980 में उन्होंने उत्तराखंड क्रांति दल का हाथ थामा और जीवन भर उसके एक्टिव सदस्य रहे. उत्तर प्रदेश में बनारसी दास गुप्त के मुख्यमंत्रित्व काल में वे पर्वतीय विकास परिषद के उपाध्यक्ष रहे. बडोनी ने 1989 का लोकसभा चुनाव भी लड़ा. यह चुनाव बडोनी दस हजार वोटो से हार गये, कहते हैं कि पर्चा भरते समय बडोनी की जेब में मात्र एक रुपया था जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी ब्रह्मदत्त ने लाखों रुपया खर्च किया.

1988 में उत्तराखंड क्रांतिदल के बैनर तले बडोनी ने 105 दिन की पदयात्रा की. यह पदपात्रा पिथौरागढ़ के तवाघाट से देहरादून तक चली. उन्होंने गांव के घर-घर जाकर लोगों को अलग राज्य के फायदे बताये. 1992 में उन्होंने बागेश्वर में मकर संक्रांति के दिन उत्तराखंड की राजधानी गैरसैण घोषित कर दी.

कला और संस्कृति से बेहद लगाव रखने वाले बडोनी ने ही पहली बार माधो सिंह भंडारी नाटक का मंचन किया था. उन्होंने दिल्ली और मुम्बई जैसे बड़े शहरों में भी इसका मंचन कराया. शिक्षा क्षेत्र में काम करते हुये उन्होंने गढ़वाल में कई स्कूल खोले, जिनमें इंटरमीडियेट कॉलेज कठूड, मैगाधार, धूतू एवं उच्च माध्यमिक विद्यालय बुगालीधार प्रमुख हैं.

फोटो : मेरा पहाड़ फोरम से साभार

माना जाता है कि सहस्त्रताल, खतलिंग ग्लेशियर, पंवालीकांठा ट्रेक की पहली यात्रा इन्द्रमणि बडोनी द्वारा ही की गयी. 18 अगस्त, 1999 को ऋषिकेश के विट्ठल आश्रम में उनका निधन हो गया. वाशिंगटन पोस्ट ने इन्द्रमणि बडोली को ‘पहाड़ का गांधी’ कहा है.

काफल ट्री डेस्क

हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें: Kafal Tree Online

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Girish Lohani

Recent Posts

नेत्रदान करने वाली चम्पावत की पहली महिला हरिप्रिया गहतोड़ी और उनका प्रेरणादायी परिवार

लम्बी बीमारी के बाद हरिप्रिया गहतोड़ी का 75 वर्ष की आयु में निधन हो गया.…

4 days ago

भैलो रे भैलो काखड़ी को रैलू उज्यालू आलो अंधेरो भगलू

इगास पर्व पर उपरोक्त गढ़वाली लोकगीत गाते हुए, भैलों खेलते, गोल-घेरे में घूमते हुए स्त्री और …

4 days ago

ये मुर्दानी तस्वीर बदलनी चाहिए

तस्वीरें बोलती हैं... तस्वीरें कुछ छिपाती नहीं, वे जैसी होती हैं वैसी ही दिखती हैं.…

1 week ago

सर्दियों की दस्तक

उत्तराखंड, जिसे अक्सर "देवभूमि" के नाम से जाना जाता है, अपने पहाड़ी परिदृश्यों, घने जंगलों,…

1 week ago

शेरवुड कॉलेज नैनीताल

शेरवुड कॉलेज, भारत में अंग्रेजों द्वारा स्थापित किए गए पहले आवासीय विद्यालयों में से एक…

2 weeks ago

दीप पर्व में रंगोली

कभी गौर से देखना, दीप पर्व के ज्योत्सनालोक में सबसे सुंदर तस्वीर रंगोली बनाती हुई एक…

2 weeks ago