कला साहित्य

लोक कथा : चाँद और सूरज आसमान में क्यों रहते हैं?

कई बरस पहले पानी और सूरज बहुत अच्छे दोस्त थे और दोनों ही धरती पर एक साथ रहा करते थे. सूरज अक्सर पानी से मुलाक़ात करने उसके घर ज़ाया करता लेकिन पानी कभी भी सूरज के घर उससे मिलने नहीं गया. आख़िर एक दिन सूरज ने अपने दोस्त से पूछा कि वो कभी उसके घर क्यों नहीं आता. पानी ने जवाब दिया कि सूरज का घर ज़्यादा बड़ा नहीं है और अगर पानी अपने सभी सगे संबंधियों के साथ उसके घर आया तो सूरज को घर छोड़कर जाना पड़ेगा. पानी ने कहा, “अगर तुम चाहते हो कि मैं तुम्हारे वहाँ आऊँ तो तुम्हें एक बहुत बड़ा घर बनाना पड़ेगा लेकिन मैं तुम्हें बता दूँ कि जगह बहुत बड़ी होनी चाहिए क्योंकि मेरे साथ बहुत से लोग होंगे और उन्हें काफ़ी जगह चाहिए.“ (Folk Tale)

सूरज ने वादा किया कि वो एक बड़ी जगह का निर्माण करेगा . तुरंत ही सूरज अपने घर वापस आया जहाँ उसकी पत्नी चाँद ने दरवाज़ा खोलकर मुस्कुराते हुए उसका स्वागत किया. सूरज ने चाँद को पानी से किए अपने वादे के बारे में बताया और वह अगले ही दिन से अपने दोस्त के स्वागत के लिए एक बड़ा घर बनाने में जुट गया.

काम पूरा हो जाने पर सूरज ने पानी को अपने घर आने का न्योता दे दिया.

दूसरे दिन जब पानी सूरज के घर पहुँचा तो उसने उसे आवाज़ लगाई और पूछा कि क्या भीतर आना सुरक्षित है , “हाँ मेरे दोस्त ! आ जाओ. “ सूरज ने कहा.

तब पानी ने मछलियों और पानी में रहने वाले सभी जंतुओं के साथ बहना शुरु कर दिया. बहुत जल्द ही पानी घुटनों तक पहुँच गया इसलिए उसने फिर सूरज से पूछा कि क्या सब ठीक है ? सूरज ने फिर “हाँ” में जवाब दिया तो पानी अपने कुनबे के साथ आता चला गया.

जब पानी आदमी के सिर की ऊँचाई तक पहुँच गया तब उसने सूरज से कहा, “क्या तुम चाहते हो कि मेरे और साथी आ जाएँ ?” सूरज और चाँद की समझ में कुछ नहीं आ रहा था तब भी दोनों ने कहा, “हाँ” इसलिए पानी भीतर आता गया. यहाँ तक कि सूरज और चाँद को घर की छत पर शरण लेनी पड़ी.

पानी ने एक बार फिर सूरज से पूछा लेकिन फिर से वही जवाब सुनकर वह अपने साथियों के साथ आता रहा और देखते ही देखते घर की छत के ऊपर से भी पानी बहने लगा और सूरज तथा चाँद को मजबूर होकर आसमान की तरफ़ जाना पड़ा.

तभी से सूरज और चाँद धरती छोड़कर हमेशा के लिए आसमान में बस गए.

हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें: Kafal Tree Online

स्मिता को यहाँ भी भी पढ़ें: रानीखेत के करगेत से कानपुर तक खिंची एक पुरानी डोर

स्मिता कर्नाटक. हरिद्वार में रहने वाली स्मिता कर्नाटक की पढ़ाई-लिखाई उत्तराखंड के अनेक स्थानों पर हुई. उन्होंने 1989 में नैनीताल के डीएसबी कैम्पस से अंग्रेज़ी साहित्य में एम. ए. किया. पढ़ने-लिखने में विशेष दिलचस्पी रखने वाली स्मिता काफल ट्री की नियमित लेखिका हैं.

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Sudhir Kumar

Recent Posts

रबिंद्रनाथ टैगोर की कहानी: तोता

एक था तोता. वह बड़ा मूर्ख था. गाता तो था, पर शास्त्र नहीं पढ़ता था.…

3 hours ago

यम और नचिकेता की कथा

https://www.youtube.com/embed/sGts_iy4Pqk Mindfit GROWTH ये कहानी है कठोपनिषद की ! इसके अनुसार ऋषि वाज्श्र्वा, जो कि…

1 day ago

अप्रैल 2024 की चोपता-तुंगनाथ यात्रा के संस्मरण

-कमल कुमार जोशी समुद्र-सतह से 12,073 फुट की ऊंचाई पर स्थित तुंगनाथ को संसार में…

1 day ago

कुमाउँनी बोलने, लिखने, सीखने और समझने वालों के लिए उपयोगी किताब

1980 के दशक में पिथौरागढ़ महाविद्यालय के जूलॉजी विभाग में प्रवक्ता रहे पूरन चंद्र जोशी.…

6 days ago

कार्तिक स्वामी मंदिर: धार्मिक और प्राकृतिक सौंदर्य का आध्यात्मिक संगम

कार्तिक स्वामी मंदिर उत्तराखंड राज्य में स्थित है और यह एक प्रमुख हिंदू धार्मिक स्थल…

1 week ago

‘पत्थर और पानी’ एक यात्री की बचपन की ओर यात्रा

‘जोहार में भारत के आखिरी गांव मिलम ने निकट आकर मुझे पहले यह अहसास दिया…

2 weeks ago