गढ़वाल हिमालय में सीमांत जनपद चमोली में बद्रीनाथ धाम से बीस किलोमीटर पहले पूर्व की ओर गोविंद घाट बस्ती है. यहाँ से 17 किलोमीटर दूर पैदल चल 3658 मीटर की ऊँचाई पर हिम मंडित उपत्यका से सम्मोहित करती है फूलों की घाटी.
गोविंद घाट से 4 किलोमीटर की दूरी पर पुलना गाँव, इसके आगे 6 कि. मी. दूर भ्युडांर गाँव और फिर 4 कि. मी. आगे घाँघरिया, जिससे आगे पग धरते सौंदर्य है अनगिनत प्रजाति के फूलों का,जो हरीतिमा की गोद से झाँकते अकल्पनीय सुख की अनुभूति कराते हैं.
घास के विस्तृत मैदान इनके रंगों से भर इन बुग्यालों को नयनाभिराम बना देते हैं, तो झरने भी हैं,छोटी झाड़ियाँ भी,मादक गंध भी. जैव विविधता संवर्धन व संरक्षण के लिए फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान तो घोषित है ही नंदादेवी बायोस्पेयर रिज़र्व में शामिल भी है.
जीवन भर उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के कुल महाविद्यालयों में अर्थशास्त्र की प्राध्यापकी करते रहे प्रोफेसर मृगेश पाण्डे फिलहाल सेवानिवृत्ति के उपरान्त हल्द्वानी में रहते हैं. अर्थशास्त्र के अतिरिक्त फोटोग्राफी, साहसिक पर्यटन, भाषा-साहित्य, रंगमंच, सिनेमा, इतिहास और लोक पर विषदअधिकार रखने वाले मृगेश पाण्डे काफल ट्री के लिए नियमित लेखन करेंगे.
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